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53वें जन्मदिन पर खास: Anurag Kashyap क्यों हैं हिंदी सिनेमा के सबसे बेबाक निर्देशक

Anurag Kashyap: सिनेमा का बागी, जिसने बनाई अपनी अलग राह

नई दिल्ली, 10 सितंबर 2025

हिंदी सिनेमा के चर्चित और दूरदर्शी फिल्ममेकर Anurag Kashyap आज अपना 53वां जन्मदिन मना रहे हैं। गोरखपुर में जन्मे इस निर्देशक ने न केवल निर्देशन बल्कि लेखन और अभिनय से भी अलग पहचान बनाई है। उनका सफर संघर्षों से भरा रहा, लेकिन कभी भी उन्होंने अपनी सोच और कला से समझौता नहीं किया।

शुरुआती सफर और थिएटर से जुड़ाव

दिल्ली के हंसराज कॉलेज से पढ़ाई के दौरान ही Anurag Kashyap नुक्कड़ नाटकों से जुड़े। भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में लगातार फिल्में देखने के बाद उनमें फिल्ममेकिंग की चाह जागी। ‘बाइसिकल थीव्स’ जैसी क्लासिक फिल्म ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया।

खाली जेब लेकर पहुंचे मुंबई

साल 1993 में मात्र 5,000 रुपये लेकर मुंबई आए Anurag Kashyap काम की तलाश में दर-दर भटके। शुरुआती दिनों में उन्हें सड़कों और फुटपाथों पर भी सोना पड़ा। पृथ्वी थिएटर में काम तो मिला, लेकिन नाटक अधूरा रह गया। इसी दौरान उनकी दोस्ती मनोज बाजपेयी, तिग्मांशु धूलिया और अनुभव सिन्हा जैसे कलाकारों से हुई, जिसने आगे चलकर उन्हें बड़ा सहारा दिया।

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लेखन से शुरुआत और पहली बड़ी सफलता

Anurag Kashyap ने श्रीराम राघवन और हंसल मेहता जैसे निर्देशकों के लिए स्क्रिप्ट लिखीं, हालांकि शुरुआती प्रोजेक्ट रिलीज़ नहीं हो सके। 1998 में उनकी किस्मत बदली, जब मनोज बाजपेयी की सिफारिश पर उन्हें राम गोपाल वर्मा की फिल्म सत्या के लिए कहानी और डायलॉग लिखने का मौका मिला। यह फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई और Anurag Kashyap को पहचान दिलाई। इसके बाद उन्होंने कौन, शूल, युवा और हनीमून ट्रैवल्स प्राइवेट लिमिटेड जैसी फिल्मों के लिए भी लेखन किया।

निर्देशक बने लेकिन सेंसरशिप से टकराव

निर्देशन की शुरुआत उन्होंने फिल्म पांच से की, लेकिन इसमें दिखाए गए हिंसक दृश्यों और गालियों की वजह से सेंसर बोर्ड ने फिल्म को रोक दिया। बाद में इसे पास तो कर दिया गया, लेकिन प्रोड्यूसर की दिक्कतों के कारण यह कभी सिनेमाघरों तक नहीं पहुंच पाई। इसके बाद उन्होंने ब्लैक फ्राइडे बनाई, जो 1993 मुंबई बम धमाकों पर आधारित थी। कोर्ट केस की वजह से इसकी रिलीज़ कई साल अटक गई और आखिरकार 2007 में फिल्म रिलीज़ हुई।

‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ से बदल गया करियर

2012 में आई गैंग्स ऑफ वासेपुर ने Anurag Kashyap को भारतीय सिनेमा का अलग मुकाम दिलाया। यह फिल्म बाद में कल्ट स्टेटस तक पहुंची और कई नए कलाकारों को पहचान मिली। इसके बाद उन्होंने अग्ली, रमन राघव 2.0, मुक्काबाज, मनमर्जियां जैसी फिल्में बनाई और नेटफ्लिक्स की मशहूर सीरीज़ सेक्रेड गेम्स का भी सह-निर्देशन किया।

अभिनय में भी कमाया नाम

निर्देशक और लेखक के अलावा Anurag Kashyap ने अभिनेता के तौर पर भी पहचान बनाई। अकीरा, शागिर्द, एके वर्सेज एके जैसी फिल्मों में उनके अभिनय को खूब सराहा गया। हाल ही में साउथ स्टार विजय सेतुपति की फिल्म महाराजा में विलेन के किरदार से उन्होंने खूब तारीफें बटोरीं।

आने वाले प्रोजेक्ट्स

Anurag Kashyap की अगली फिल्म निशानची 19 सितंबर को रिलीज़ होने जा रही है, जिसे लेकर दर्शकों में काफी उत्सुकता है। वहीं उनकी फिल्म बंदर को टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में शानदार प्रतिक्रिया मिली है। इस फिल्म में बॉबी देओल और सान्या मल्होत्रा मुख्य भूमिकाओं में नजर आएंगे।

संघर्षों से लेकर सफलता तक Anurag Kashyap की कहानी बताती है कि सच्चा कलाकार वही है जो हर परिस्थिति में अपनी सोच और कला के साथ ईमानदार बना रहे। आज वो हिंदी सिनेमा के सबसे बेबाक और प्रयोगधर्मी निर्देशकों में गिने जाते हैं।

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