Film Review : “2020 Delhi” – आग, आंसू और सच्चाई का आईना

“2020 दिल्ली” – आग, आंसू और सच्चाई का आईना

एक ऐसी फिल्म जो सिर्फ दिखाती नहीं, महसूस कराती है दंगों का दर्द

दंगों का दर्द और राजनीति की सच्चाई को दिखाने वाली कोशिश

दिल्ली दंगों जैसे संवेदनशील विषय पर फिल्म बनाना आसान नहीं है। निर्देशक देवेंद्र मालवीय ने “2020 Delhi” के ज़रिए उस दौर की सच्चाई दिखाने की कोशिश की है, जो आज भी लोगों की यादों में ज़ख्म की तरह है।

कहानी

फिल्म की कहानी 24 फरवरी 2020 के दिन पर आधारित है — जब एक तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प दिल्ली आए हुए थे, और दूसरी तरफ शहर के कुछ हिस्से दंगों की आग में जल रहे थे।
कहानी शाहीनबाग के शांतिपूर्ण विरोध से शुरू होती है और धीरे-धीरे हिंसा, साजिश और राजनीति के गहरे पहलुओं को सामने लाती है।

निर्देशन और प्रस्तुति

फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसका ईमानदार नजरिया है। सीमित बजट के बावजूद निर्देशक ने एक कठिन विषय को मजबूती से दिखाया है।
दंगों के दृश्यों को सिंगल शॉट में फिल्माना काफी चुनौतीपूर्ण था, लेकिन इसे अच्छे तरीके से पेश किया गया है।

थीम और संदेश

“2020 दिल्ली” सिर्फ दिल्ली की कहानी नहीं है, बल्कि यह उस दर्द और विभाजन की बात करती है जो सीमाओं से परे भी मौजूद है।
फिल्म में पाकिस्तान जैसे देशों में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों और बेटियों के जबर्दस्ती धर्मांतरण जैसे मुद्दों को भी ईमानदारी से दिखाया गया है।

अभिनय

बृजेंद्र काला का अभिनय फिल्म का सबसे असरदार हिस्सा है। उन्होंने एक सिक्योरिटी गार्ड के किरदार में इंसानियत और बेबसी को बहुत सादगी से जिया है।
बाकी कलाकार — समर जय सिंह, सिद्दार्थ भारद्वाज, आकाश अरोरा, भूपेश सिंह, चेतन शर्मा — ने भी अपने-अपने किरदार बखूबी निभाए हैं।

तकनीकी पहलू

फिल्म की शूटिंग ज्यादातर आउटडोर लोकेशंस पर हुई है। हालांकि असली दंगों वाले इलाकों — जैसे सीलमपुर या जाफराबाद — में शूट न कर पाना थोड़ा खलता है।
फिर भी कम बजट में जो विजुअल्स और माहौल बनाया गया है, वह तारीफ के काबिल है।

निर्माता का साहस

देवेंद्र मालवीय ने इस फिल्म के ज़रिए सिर्फ एक कहानी नहीं कही, बल्कि एक हिम्मत और विश्वास की मिसाल पेश की है। कानूनी और सामाजिक चुनौतियों के बावजूद उन्होंने इस विषय को पर्दे पर लाने की जिद रखी।

क्यों देखें यह फिल्म

अगर आप सच्ची घटनाओं पर आधारित, सोचने पर मजबूर करने वाली फिल्मों के शौकीन हैं, तो “2020 Delhi” ज़रूर देखें।
यह फिल्म मनोरंजन से ज़्यादा एक दस्तावेज़ की तरह है — जो दिल्ली के हालिया इतिहास की दर्दनाक सच्चाई को दिखाती है।

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