Haq Movie Review: Yami Gautam और इमरान हाशमी का दमदार टकराव, कोर्टरूम…

Haq Movie Review: Yami Gautam और इमरान हाशमी का दमदार टकराव, कोर्टरूम ड्रामा में उठे महिलाओं के अधिकार के सवाल

‘Haq’ सिर्फ कोर्टरूम ड्रामा नहीं, बल्कि औरत की आत्मसम्मान और अधिकार की जंग की गूंज है।

रेटिंग: ⭐️⭐️⭐️½ (3.5/5)

05 नवंबर 2025, नई दिल्ली

इमरान हाशमी और Yami Gautam की फिल्म ‘Haq’ एक सशक्त कोर्टरूम ड्रामा है, जो समाज में महिलाओं के अधिकार, सम्मान और इंसाफ की लड़ाई को बेहद प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करती है। सुपर्ण एस. वर्मा के निर्देशन में बनी यह फिल्म दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देती है कि आखिर ‘हक’ का असली मतलब क्या है – एहसान या अधिकार?

कहानी

फिल्म की कहानी 1980–90 के दशक की पृष्ठभूमि में सेट है, जब भारत में महिलाओं के अधिकारों और तलाक से जुड़े कानूनों को लेकर गहन बहसें चल रही थीं।
Yami Gautam ने शाजिया बानो का किरदार निभाया है — एक ऐसी मुस्लिम महिला जो अपने पति अब्बास खान (इमरान हाशमी) से न्याय की मांग करती है। अब्बास धर्म के नाम पर अपनी गलतियों को सही ठहराने की कोशिश करता है और तलाक के नियमों का दुरुपयोग करता है। दूसरी शादी करने के बाद वह शाजिया को अकेला छोड़ देता है। लेकिन शाजिया चुप नहीं बैठती — वह अदालत में जाकर अपने गुज़ारे, इज्जत और ‘Haq’ के लिए लड़ाई छेड़ देती है।

यह केवल उसकी निजी लड़ाई नहीं, बल्कि उस सोच के खिलाफ जंग है जो महिला को अधिकार से नहीं, दया से देखती है।

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अभिनय

Yami Gautam ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वे भावनाओं को बेहद बारीकी से पर्दे पर उतारना जानती हैं। शाजिया के दर्द, मजबूती और आत्मसम्मान — तीनों को उन्होंने पूरे दमखम से निभाया है।
वहीं, इमरान हाशमी का काम इस फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने दो भूमिकाएं निभाई हैं — एक पति के रूप में और दूसरी एक वकील के रूप में। दोनों किरदारों में उन्होंने शानदार संतुलन रखा है। उनके संवाद और भावनात्मक गहराई फिल्म को मजबूती देते हैं।

निर्देशन और तकनीकी पक्ष

सुपर्ण एस. वर्मा का निर्देशन सधा हुआ है। उन्होंने संवेदनशील मुद्दे को बिना किसी दिखावे के बहुत सादगी से पेश किया है। हालांकि फिल्म की रफ्तार कुछ जगह धीमी महसूस होती है, लेकिन संवाद और कोर्टरूम सीन इतने प्रभावशाली हैं कि दर्शक जुड़े रहते हैं।
फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक कहानी के मूड को मजबूत बनाता है, जबकि कैमरे का काम भी तारीफ के काबिल है।

फिल्म का मूल संदेश साफ और गहरा है — ‘Haq किसी का एहसान नहीं, बल्कि हर इंसान का अधिकार है।’

देखें या नहीं?

अगर आपको सामाजिक मुद्दों पर बनी, महिला सशक्तिकरण और न्याय की बात करने वाली फिल्में पसंद हैं, तो ‘Haq’ ज़रूर देखिए। यामी और इमरान का शानदार प्रदर्शन इसे यादगार बनाता है।
हालांकि, अगर आप हल्की-फुल्की मनोरंजन वाली फिल्म की तलाश में हैं, तो यह गंभीर ड्रामा आपको थोड़ा भारी लग सकता है।

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