Jatadhara Review: पौराणिक रहस्यों और आधुनिक तर्क के बीच बुनी रहस्यमयी कहानी,…

Jatadhara Review: पौराणिक रहस्यों और आधुनिक तर्क के बीच बुनी रहस्यमयी कहानी, सोनाक्षी-सुधीर की दमदार एक्टिंग ने जीता दिल

‘Jatadhara’ में निर्देशक वेंकट कल्याण ने आस्था और विज्ञान के टकराव को रोमांचक अंदाज़ में पेश किया है। फिल्म में सुधीर बाबू और सोनाक्षी सिन्हा ने बखूबी निभाए अपने किरदार।

नई दिल्ली, 6 नवंबर 2025

जी स्टूडियोज और प्रेरणा अरोड़ा द्वारा निर्मित ‘Jatadhara’ एक ऐसी थ्रिलर फिल्म है जो पौराणिक रहस्यों, तांत्रिक अनुष्ठानों और आधुनिक विज्ञान के बीच दिलचस्प संघर्ष को सामने लाती है।
निर्देशक वेंकट कल्याण और अभिषेक जायसवाल ने विज्ञान बनाम अध्यात्म के टकराव को एक नए सिनेमाई रूप में दिखाने की कोशिश की है। हालांकि फिल्म में कुछ कमजोरियां हैं, लेकिन इसका विजुअल ट्रीटमेंट, म्यूज़िक और क्लाइमेक्स दर्शकों को जोड़े रखता है।

कहानी और निर्देशन


फिल्म की कहानी अनंत पद्मनाभ स्वामी मंदिर की रहस्यमयी पृष्ठभूमि में सेट है, जहां ‘पिशाच बंधनम’ नामक एक प्राचीन अनुष्ठान किया जाता है। इस अनुष्ठान के ज़रिए आत्माओं को मंदिर से बांध दिया जाता है ताकि वे छिपे खजाने की रक्षा कर सकें।
कहानी के केंद्र में हैं सुधीर बाबू, जो ‘शिवा’ नाम के भूत शिकारी की भूमिका में हैं। वह विज्ञान और तर्क में विश्वास रखते हैं, लेकिन एक ऐसी शक्ति से सामना होने पर उनका पूरा दृष्टिकोण बदल जाता है।
यहीं से कहानी रहस्य, भय और अध्यात्म के मेल से आगे बढ़ती है।
वेंकट कल्याण का निर्देशन महत्वाकांक्षी है। उन्होंने रहस्य और दर्शन को जोड़ने की दिलचस्प कोशिश की है। हालांकि फिल्म का पहला हिस्सा काफी आकर्षक है, लेकिन बीच में इसकी रफ्तार धीमी पड़ जाती है। कुछ दृश्य जहां आध्यात्मिक गहराई से भरे हैं, वहीं कुछ जगह फिल्म दृश्यात्मक भव्यता में उलझ जाती है। फिर भी, क्लाइमेक्स तक आते-आते कहानी संभलती है और एक प्रभावशाली अंत देती है।

अभिनय


सुधीर बाबू ने ‘शिवा’ के किरदार में बेहतरीन अभिनय किया है। उनके चेहरे के भाव और बॉडी लैंग्वेज उनके आंतरिक संघर्ष को बखूबी दर्शाते हैं।
सोनाक्षी सिन्हा तेलुगु सिनेमा में अपने डेब्यू के साथ एक प्रतिशोधी आत्मा ‘धना पिशाची’ के रूप में दमदार छाप छोड़ती हैं। उनके एक्सप्रेशंस और स्क्रीन प्रेजेंस प्रभावशाली हैं। हालांकि स्क्रिप्ट उन्हें और विस्तार नहीं देती, फिर भी उनकी परफॉर्मेंस असरदार है।
दिव्या खोसला, इंदिरा कृष्णा और शिल्पा शिरोडकर ने अपनी भूमिकाओं में गहराई लाने की कोशिश की है, मगर उनके किरदार सीमित दायरे में रह जाते हैं।

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तकनीकी पक्ष


सिनेमैटोग्राफर समीर कल्याणी ने फिल्म के दृश्यों को शानदार ढंग से कैद किया है। मंदिर की रहस्यमयी गलियां, अनुष्ठानों का धुआं और रोशनी का खेल एक अलग ही अनुभव देते हैं।
राजीव राज का संगीत और बैकग्राउंड स्कोर फिल्म की आत्मा है। ‘शिव स्तोत्रम’ जैसे ट्रैक फिल्म को आध्यात्मिक ऊंचाई देते हैं, जबकि ‘पल्लो लटके अगेन’ हल्कापन जोड़ता है।
VFX ज्यादातर हिस्सों में प्रभावशाली हैं, हालांकि कुछ जगह थोड़ी कृत्रिमता महसूस होती है।

कमजोरियां


फिल्म की सबसे बड़ी कमी इसका असंतुलन है।
कहानी जहां आस्था और तर्क के टकराव को गहराई से पेश कर सकती थी, वहीं कई हिस्सों में यह सतही लगती है।
दूसरी कमी इसकी लंबाई है — कुछ दृश्य छोटे किए जा सकते थे।
फिर भी, भावनात्मक जुड़ाव और विजुअल अपील फिल्म को संभाल लेते हैं।

क्यों देखें ‘Jatadhara’?


अगर आपको पौराणिक रहस्य, तांत्रिक अनुष्ठान, और आध्यात्मिक रोमांच पसंद हैं, तो ‘जटाधारा’ एक अच्छा अनुभव साबित हो सकती है।
सुधीर बाबू और सोनाक्षी सिन्हा की दमदार एक्टिंग, खूबसूरत विजुअल्स और अनोखा कॉन्सेप्ट इसे देखने लायक बनाते हैं।
यह फिल्म सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर विज्ञान और अध्यात्म की जंग में सच्चाई किस तरफ है।

‘Jatadhara’ एक प्रयोगात्मक लेकिन साहसिक फिल्म है, जो भारतीय पौराणिक रहस्यों को आधुनिक सोच के साथ जोड़ती है।
कहानी में भले ही कुछ उतार-चढ़ाव हों, लेकिन इसकी प्रस्तुति और परफॉर्मेंस इसे एक यादगार सिनेमाई अनुभव बना देते हैं।

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