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Maharani 4 Review: रानी भारती की ‘दिल्ली यात्रा’ – सत्ता, साज़िश और बदले की कहानी में हुमा कुरैशी की दमदार वापसी

‘Maharani 4’ में रानी भारती इस बार बिहार से दिल्ली तक सत्ता के खेल में उतरती हैं। हुमा कुरैशी के शानदार अभिनय ने एक बार फिर सबका दिल जीत लिया है।

07 नवंबर 2025, नई दिल्ली

सोनी लिव पर रिलीज़ हुई ‘Maharani’ सीरीज़ का चौथा सीजन एक बार फिर चर्चा में है। हुमा कुरैशी ने रानी भारती के रूप में ऐसी वापसी की है, जिसने दर्शकों को फिर से राजनीति की दुनिया में खींच लिया है। सुभाष कपूर के निर्माण और पुनीत प्रकाश के निर्देशन में बनी इस सीरीज़ में सत्ता, गठबंधन, महत्वाकांक्षा और विश्वासघात की कहानी बड़े ही बारीकी से बुनी गई है।

कहानी कहां से शुरू होती है?


कहानी की शुरुआत दिल्ली के सियासी गलियारों से होती है। प्रधानमंत्री सुधाकर श्रीनिवास जोशी (विपिन शर्मा) की गठबंधन सरकार डगमगा रही है, और ऐसे में वह समर्थन के लिए बिहार की मुख्यमंत्री रानी भारती (हुमा कुरैशी) की मदद मांगता है। लेकिन रानी साफ इंकार कर देती हैं। इससे शुरू होता है सत्ता का ऐसा खेल जिसमें सियासत के साथ-साथ रिश्ते और वफादारियां भी दांव पर लग जाती हैं।
प्रधानमंत्री बनने की ठान चुकी रानी, न्याय और सम्मान के लिए लड़ने निकलती हैं। बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर वे अपनी बेटी रोशनी (श्वेता प्रसाद बासु) को उत्तराधिकारी घोषित करती हैं। यह फैसला उनके बेटे जयप्रकाश (शार्दुल भारद्वाज) और पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं को नागवार गुजरता है। राजनीतिक बिसात पर परिवारवाद, वफादारी और साज़िश के पत्ते खुलने लगते हैं।

राजनीति और प्रतिशोध का संगम


‘Maharani 4’ सिर्फ राजनीति की कहानी नहीं, बल्कि सत्ता और आत्मसम्मान की जंग है। कहानी में यह दिखाया गया है कि कैसे राजनीतिक गठजोड़, सीबीआई जांच, और ताकत का गलत इस्तेमाल किसी नेता की छवि और परिवार दोनों को हिला सकता है। रानी भारती हर बार की तरह इस सियासी बिसात पर मजबूती से अपने मोहरे चलती हैं और अंत में प्रधानमंत्री बनने की ओर कदम बढ़ाती हैं।

निर्देशन और लेखन की खासियतें


इस सीजन का निर्देशन पुनीत प्रकाश ने किया है, जबकि कहानी और पटकथा सुभाष कपूर, नंदन सिंह और उमाशंकर सिंह ने लिखी है। लेखन में मौजूदा राजनीति के कई संकेत झलकते हैं—गठबंधन की राजनीति, भ्रष्टाचार, परिवारवाद और सत्ता की होड़ को बड़े यथार्थपूर्ण तरीके से पेश किया गया है। संवाद धारदार हैं और कई बार सीधे दिल पर वार करते हैं।
बैकग्राउंड स्कोर और संगीत में आनंद एस. बाजपेयी ने बिहार की लोकसंस्कृति की झलक दिखाई है, जो सीरीज को स्थानीय और असली अहसास देता है।

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हुमा कुरैशी का बेहतरीन अभिनय


हुमा कुरैशी ने एक बार फिर साबित किया कि रानी भारती का किरदार उन्हीं के लिए बना है। इस सीजन में वे थोड़ी परिपक्व और अनुभवी दिखती हैं, लेकिन उनके हावभाव और संवादों की ताकत पहले से भी ज्यादा असरदार है।
उनका एक संवाद – “बिना मौका दिए ना मेरिट पता चलता है और ना एक्सपीरियंस” – उनके अभिनय और सफर दोनों पर सटीक बैठता है।

श्वेता प्रसाद बासु, शार्दुल भारद्वाज और विपिन शर्मा ने भी अपने-अपने किरदारों में गहराई भरी है। खासकर विपिन शर्मा का कुटिल प्रधानमंत्री का किरदार लंबे समय तक याद रहेगा। सहायक भूमिकाओं में विनीत कुमार, कनि कुश्रुति, प्रमोद पाठक और राजेश्वरी सचदेव ने भी सीरीज में जान डाल दी है।

कमजोरियां और निष्कर्ष
Maharani सीरीज के कुछ एपिसोड थोड़े लंबे और धीमे लगते हैं, खासकर राजनीतिक वार्तालाप वाले हिस्सों में। नए चेहरों की एंट्री को थोड़ा और परिष्कृत किया जा सकता था। लेकिन कहानी और अभिनय के दम पर ये खामियां जल्दी पीछे छूट जाती हैं।

‘Maharani 4’ सत्ता, साज़िश और प्रतिशोध की एक मजबूत कहानी है। हुमा कुरैशी का शानदार अभिनय और सटीक संवाद इसे और भी प्रभावशाली बना देते हैं। यह सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि एक महिला के संघर्ष और आत्मसम्मान की कहानी है।

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