Nishanchi Movie Review: ऐश्वर्य ठाकरे का दमदार डेब्यू और Anurag Kashyap का रियलिस्टिक टच

Nishanchi Movie Review: ऐश्वर्य ठाकरे का दमदार डेब्यू और Anurag Kashyap का रियलिस्टिक टच

गैंग्स ऑफ वासेपुर की याद दिलाती है Nishanchi की रियलिस्टिक टोन

अनुराग कश्यप निर्देशित Nishanchi अब सिनेमाघरों में रिलीज़ हो चुकी है और इसके साथ ही बालासाहेब ठाकरे के पोते ऐश्वर्य ठाकरे ने अभिनय की दुनिया में कदम रख दिया है। Anurag Kashyap अपने प्रोजेक्ट्स में कभी भी सिर्फ़ विरासत के नाम पर किसी को मौका नहीं देते, ऐसे में उनकी फिल्म में ऐश्वर्य का डेब्यू होना इस बात का सबूत है कि उन्होंने उनमें कुछ खास देखा है।

ऐश्वर्य ने भी जल्दबाज़ी नहीं की। राजनीति से दूरी बनाकर उन्होंने फिल्मों को चुना और बाजीराव मस्तानी में असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम करके धीरे-धीरे इस दुनिया को समझा। यही तैयारी उनके डेब्यू रोल में साफ नज़र आती है।

कहानी: कानपुर के जुड़वां भाइयों का सफ़र

फिल्म की शुरुआत डबलू, बबलू (दोनों किरदार ऐश्वर्य ठाकरे) और रिंकू से होती है, जो एक बैंक डकैती में फेल हो जाते हैं। रिंकू और डबलू किसी तरह बच निकलते हैं लेकिन बबलू उर्फ टोनी मंटेना पकड़ा जाता है और जेल चला जाता है।

कहानी दो समय-सीमाओं में आगे बढ़ती है। एक तरफ़ बबलू की जेल की सज़ा और परिवार की उलझनें दिखाई जाती हैं, वहीं फ्लैशबैक में उसके माता-पिता मंजरी (मोनिका पंवार) और जबरदस्त (विनीत कुमार सिंह) की प्रेम और संघर्ष भरी दास्तां सामने आती है।

वर्तमान में रिंकू और बबलू की प्रेमकहानी, चाचा अंबिका प्रसाद (कुमुद मिश्रा) की चालें और परिवार की जद्दोजहद कहानी को आगे बढ़ाती है। फिल्म का अंत एक ऐसे मोड़ पर होता है जो निशानची पार्ट 2 की नींव रखता है।

निर्देशन और लेखन

Anurag Kashyap की फिल्मों की पहचान रही है – देसी कहानियां, असली लोकेशन और कच्चा यथार्थ। Nishanchi भी इन्हीं खूबियों से सजी है। कानपुर का ठेठ अंदाज़, स्थानीय बोली और बारीकियों पर ध्यान इसे प्रामाणिक बनाते हैं।

हालांकि, कहानी को दो हिस्सों में बांटना थोड़ा खटकता है। कई दर्शकों को लगेगा कि इसे एक ही भाग में समेटा जा सकता था। बावजूद इसके, फिल्म में कहीं भी गैरज़रूरी सीन नहीं हैं और पूरा अनुभव बांधे रखता है।

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तकनीकी पक्ष और संगीत

सिनेमैटोग्राफर सिल्वेस्टर फोंसेका ने शहर और पात्रों की दुनिया को बेहद खूबसूरती से पेश किया है। अलग-अलग समय-सीमाओं के हिसाब से कलाकारों का लुक बेहतरीन है।

संगीत फिल्म की असली ताकत है। Anurag Kashyap सैकिया के गाने – देखो जैसे, नींद भी तेरी, बिरवा, डियर कंट्री और रह गए अकेले – कहानी के मूड को गहराई देते हैं।

अभिनय

फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है ऐश्वर्य ठाकरे का दमदार परफॉर्मेंस। डबल रोल निभाना आसान नहीं होता, लेकिन उन्होंने बबलू और डबलू दोनों को अलग-अलग रंगों में उतारकर प्रभावित किया है।

मोनिका पंवार मां के किरदार में बेहद नैचुरल लगीं, वहीं विनीत कुमार सिंह अपनी गहनता और ताकत से छाप छोड़ते हैं। वेदिका पिंटो (रिंकू) ताजगी और आत्मविश्वास लेकर आती हैं। मोहम्मद ज़ीशान अय्यूब और कुमुद मिश्रा जैसे कलाकार हमेशा की तरह अपने स्तर पर खरे उतरे हैं।

फैसला

Nishanchi एक मसालेदार लेकिन रियलिस्टिक फिल्म है जिसमें एक्शन, ड्रामा, इमोशन और रोमांस सब कुछ मौजूद है। कहानी के ट्विस्ट दर्शकों को आगे की किस्त का इंतज़ार करवाते हैं।

Anurag Kashyap ने एक बार फिर अपनी अलग शैली में नया प्रयोग किया है और ऐश्वर्य ठाकरे ने इस फिल्म से अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है।

⭐ रेटिंग: 3/5 – एक बार थिएटर में ज़रूर देखने लायक।

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