Thamma Movie Review: डर, रोमांस और कॉमेडी की थकी-हारी कहानी, जो दर्शकों…

Thamma Movie Review: डर, रोमांस और कॉमेडी की थकी-हारी कहानी, जो दर्शकों से जुड़ नहीं पाती

‘Thamma ’ हॉरर और कॉमेडी के बीच झूलती कहानी है, जो शुरुआत में उत्सुकता जगाती है लेकिन अंत तक आते-आते अपनी पकड़ पूरी तरह खो देती है।

23 अक्टूबर 2025, नई दिल्ली

मैडॉक फिल्म्स के हॉरर-कॉमेडी यूनिवर्स की नई पेशकश ‘Thamma’ आज, 21 अक्टूबर 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। ‘स्त्री’ और ‘भेड़िया’ जैसी फिल्मों ने इस फ्रेंचाइज़ को एक अलग पहचान दी थी, इसलिए दर्शकों को उम्मीद थी कि ‘Thamma’ भी उसी स्तर की रोचक और मनोरंजक फिल्म साबित होगी। लेकिन अफसोस, यह फिल्म न तो डराने में सफल होती है और न ही हंसाने में — बल्कि आधे रास्ते में ही दम तोड़ देती है।

कहानी: डर, रोमांस और उलझन का जाल

कहानी दिल्ली के पत्रकार आलोक (आयुष्मान खुराना) से शुरू होती है, जो अपने दोस्तों के साथ ट्रैकिंग ट्रिप पर निकलता है। ट्रैकिंग के दौरान अचानक भालू के हमले से उसकी जान खतरे में पड़ जाती है, तभी तड़ाका (रश्मिका मंदाना) उसे बचाती है। लेकिन इसके बाद कहानी अचानक मोड़ लेती है और आलोक वैम्पायरों की रहस्यमयी दुनिया में पहुंच जाता है।

शुरुआत में कहानी थोड़ी दिलचस्प लगती है, लेकिन इंटरवल के बाद फिल्म की पकड़ पूरी तरह ढीली पड़ जाती है। न डर का असर बचता है, न रोमांस का आकर्षण और न ही कॉमेडी का मज़ा। क्लाइमेक्स इतनी जल्दी में समेटा गया है कि दर्शक कुछ समझ पाते उससे पहले ही फिल्म खत्म हो जाती है।

एक्टिंग: कलाकारों की मेहनत, कमजोर स्क्रिप्ट में दब गई

आयुष्मान खुराना हमेशा की तरह अपने किरदार में ईमानदारी लाते हैं, लेकिन कहानी की कमजोरी और अस्थिर पटकथा उनकी परफॉर्मेंस को भी फीका बना देती है।
रश्मिका मंदाना का किरदार सिर्फ दिखावे तक सीमित लगता है। उनकी डायलॉग डिलीवरी कमजोर है और उनके दृश्यों में भावनाओं की कमी साफ झलकती है।
नवाजुद्दीन सिद्दीकी वैम्पायर के किरदार में कुछ जगह ओवरएक्टिंग करते नजर आते हैं, जिससे डर की जगह कई बार हंसी छूट जाती है। परेश रावल हल्का-फुल्का हास्य लाने की कोशिश करते हैं, लेकिन उनका टाइमिंग और स्क्रिप्ट दोनों ही साथ नहीं देते।
अभिषेक बनर्जी और वरुण धवन के कैमियो रोल्स फिल्म को कोई खास मजबूती नहीं दे पाते।

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निर्देशन और तकनीकी पक्ष: सिर्फ दिखावा, कहानी गायब

निर्देशक आदित्य सरपोतदार ने फिल्म को विजुअली शानदार दिखाने की कोशिश की है, लेकिन कहानी पर ध्यान न देने की वजह से पूरी मेहनत व्यर्थ चली जाती है। जंगल और वैम्पायरों की दुनिया देखने में खूबसूरत जरूर लगती है, लेकिन पटकथा बिखरी हुई है।
फिल्म का टोन भी अस्थिर है — कभी डर, कभी हंसी — जिससे दर्शक खुद कन्फ्यूज हो जाते हैं कि उन्हें किस भाव में रहना है। इंटरवल के बाद फिल्म अपनी दिशा खो देती है और अंत तक उबाऊ हो जाती है।

म्यूजिक और बैकग्राउंड स्कोर

बैकग्राउंड स्कोर कई जगह रोमांच पैदा करने की कोशिश करता है, लेकिन यह डर की जगह अक्सर शोर में बदल जाता है। गाने कहानी की रफ्तार तोड़ते हैं और फिल्म को और धीमा बना देते हैं।

फैसला: देखें या छोड़ें?

‘Thamma’ केवल उन दर्शकों के लिए है जो अपने पसंदीदा कलाकारों — आयुष्मान खुराना और रश्मिका मंदाना — को बड़े पर्दे पर देखना चाहते हैं। बाकी सभी के लिए यह फिल्म निराशा का कारण बन सकती है।
फिल्म में न रोमांच है, न मनोरंजन, और न ही वह जुड़ाव जो ‘स्त्री’ या ‘भेड़िया’ में देखने को मिला था।

कुल मिलाकर, ‘Thamma’ मैडॉक यूनिवर्स की अब तक की सबसे कमजोर कड़ी साबित होती है — जो न डराती है, न हंसाती है, बस थका देती है।

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