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Achyut Potdar: सेना से प्रोफेसर और फिर बॉलीवुड तक का सफर, 90 वर्ष की उम्र में कहा अलविदा

‘3 इडियट्स’ का डायलॉग बना मीम, लेकिन Achyut Potdar का किरदार बन गया यादगार

19 अगस्त 2025, नई दिल्ली

कुछ अभिनेता ऐसे होते हैं जो मुख्य भूमिकाओं में नज़र न आने के बावजूद दर्शकों के दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ जाते हैं। ऐसे ही शानदार कलाकार थे दिवंगत Achyut Potdar, जिन्होंने 90 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके निभाए किरदार और सादगी भरी अदाकारी हमेशा याद रखी जाएगी।

सेना से लेकर सिनेमा तक

Achyut Potdar ने फिल्मों में आने से पहले एक अलग ही जीवन जिया। उन्होंने सेना में सेवा दी और कैप्टन के पद से रिटायर हुए। इसके बाद शिक्षा के क्षेत्र में भी प्रोफेसर के रूप में योगदान दिया। लेकिन उनका असली जुनून अभिनय था, जिसे उन्होंने 44 साल की उम्र में अपनाया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगभग 125 से ज्यादा हिंदी फिल्मों में काम किया।

‘3 इडियट्स’ का प्रोफेसर बना यादगार

हालांकि Achyut Potdar ने कई फिल्मों में छोटे-छोटे रोल किए, लेकिन हर किरदार में गहरी छाप छोड़ी। आमिर खान स्टारर ‘3 इडियट्स’ में वह प्रोफेसर के रोल में दिखे। फिल्म में उनका डायलॉग “अरे, कहना क्या चाहते हो?” दर्शकों को इतना भाया कि यह आगे चलकर मशहूर मीम बन गया।

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चर्चित फिल्मों की लंबी फेहरिस्त

  • ‘3 इडियट्स’ के अलावा Achyut Potdar ने कई हिट फिल्मों में अभिनय किया।
  • ‘भूतनाथ’ में मंदिर के पुजारी,
  • ‘आर. राजकुमार’ में पंडित,
  • ‘दबंग’ में देबी सिंह,
  • ‘फेरारी की सवारी’ में बैट शॉप मालिक,
  • ‘परिणीता’ में विद्या बालन के पिता,
  • ‘रंगीला’ में उर्मिला मातोंडकर के पिता,
  • ‘ये दिल्लगी’ में काजोल के पिता का किरदार निभाया।

इसके अलावा वह ‘अर्ध सत्य’, ‘तेजाब’, ‘वास्तव’, ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ जैसी फिल्मों में भी नज़र आए।

टीवी जगत में भी सक्रिय

सिर्फ फिल्मों तक सीमित न रहते हुए Achyut Potdar ने टीवी धारावाहिकों में भी अपनी पहचान बनाई। ‘भारत एक खोज’, ‘प्राइम मिनिस्टर’, ‘वाग्ले की दुनिया’ और मराठी सीरियल ‘माझा होशिल ना’ में उनके अभिनय की खूब सराहना हुई। इसी मराठी धारावाहिक के लिए उन्हें 2021 में जीवन गौरव पुरस्कार भी मिला।

याद रहेंगे उनके किरदार

Achyut Potdar का सफर इस बात का प्रमाण है कि जुनून और लगन से किसी भी उम्र में नई शुरुआत की जा सकती है। सेना से लेकर प्रोफेसर और फिर अभिनेता तक का उनका सफर अनोखा और प्रेरणादायी है। भले ही अब वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके निभाए किरदार और संवाद हमेशा दर्शकों की यादों में ज़िंदा रहेंगे।

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