Film Review: Girls Will Be Girls – टीनएज रोमांस और मां-बेटी के…
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90 के दशक की मासूमियत और सच्चाई को दिखाती Girls Will Be Girls
24 दिसंबर 2024 , नई दिल्ली
कहानी:
शुचि तलाती द्वारा निर्देशित Girls Will Be Girls एक गहन और सजीव कहानी है, जो किशोरावस्था के रोमांस और मां-बेटी के जटिल रिश्ते को वास्तविकता के साथ पेश करती है। फिल्म का केंद्र है मीरा (प्रीति पाणिग्रही), जो अपने स्कूल की हेड प्रीफेक्ट है। मीरा अपने सहपाठी श्री (केशव बिनॉय) के प्रति स्नेह महसूस करती है, लेकिन चीजें तब जटिल हो जाती हैं, जब उसकी मां अनिला (कानी कुश्रुति) का इस रिश्ते में अप्रत्याशित हस्तक्षेप होता है।
अनिला, जो खुद उसी स्कूल की पूर्व छात्रा हैं, चाहती हैं कि मीरा पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करे। लेकिन मां-बेटी के इस रिश्ते में कई तनाव और गहरे भावनात्मक उतार-चढ़ाव सामने आते हैं। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे मीरा का किशोरावस्था का सफर और अनिला की उम्मीदें एक-दूसरे से टकराती हैं।
अभिनय:
फिल्म की जान इसके कलाकार हैं। कानी कुश्रुति ने अनिला के किरदार में गहराई और संवेदनशीलता भरी है। उनका अभिनय न केवल प्रीति के किरदार को पंख देता है, बल्कि मां-बेटी के रिश्ते को भी एक नई ऊंचाई पर ले जाता है।
प्रीति पाणिग्रही, जो इस फिल्म के साथ डेब्यू कर रही हैं, ने मीरा के किरदार को बेहतरीन ढंग से निभाया है। एक टीनएजर के दर्द और उलझनों को वह इतनी सहजता से निभाती हैं कि यह डेब्यू नहीं बल्कि एक परिपक्व कलाकार का प्रदर्शन लगता है। श्री के रूप में केशव बिनॉय ने एक ऐसा किरदार निभाया है जो दर्शकों के दिलों में बसता है। उनका काम स्वाभाविक और प्रभावशाली है।
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निर्देशन और लेखन:
शुचि तलाती का निर्देशन और लेखन फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है। फिल्म का हर दृश्य सोच-समझकर बनाया गया है, जिससे यह कहानी और अधिक प्रभावशाली बनती है। फिल्म उन जटिल भावनाओं और सामाजिक पहलुओं को छूती है, जिन पर अक्सर बात नहीं की जाती। उदाहरण के तौर पर, पितृसत्ता में महिलाओं की भूमिका और किशोरों के जीवन में अस्वीकृति का असर।
शुचि ने फिल्म को अत्यधिक वास्तविकता और सहजता के साथ गढ़ा है। खासकर मां-बेटी के रिश्ते और टीनएज रोमांस को चित्रित करने का उनका तरीका दिल को छू जाता है।
फिल्म का प्रभाव:
फिल्म आपको 90 के दशक के उस समय में ले जाती है, जब लैंडलाइन पर वन-रिंग से प्यार का इजहार होता था। इसकी साधारण और वास्तविक कहानी इसे खास बनाती है। फिल्म के किरदार पानी की तरह बहते हैं और एक सहज अनुभव देते हैं।
Girls Will Be Girls सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि भावनाओं और रिश्तों का एक दस्तावेज है। मां-बेटी के रिश्ते से लेकर किशोर रोमांस तक, हर पहलू को बड़ी सच्चाई और सरलता से दिखाया गया है।
फाइनल वर्डिक्ट:
यह फिल्म टीनएज रोमांस और परिवारिक रिश्तों की जटिलताओं को समझने वालों के लिए एक मास्टरपीस है। इसे साल की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में गिना जाना चाहिए। अगर आप एक भावनात्मक और सजीव सिनेमाई अनुभव चाहते हैं, तो इसे मिस न करें।
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