Homebound Movie Review: दोस्ती, समाज और उम्मीद की सच्चाई; एक फिल्म जो…

Homebound Movie Review: दोस्ती, समाज और उम्मीद की सच्चाई; एक फिल्म जो भीतर तक झकझोर देती है

दोस्ती और सपनों की जद्दोजहद: ‘Homebound’ दिखाती है समाज की सच्चाई

फिल्म ‘Homebound’ पिछले कुछ समय से चर्चा में है। विदेशों में कई प्रतिष्ठित फिल्म फेस्टिवल में इसे प्रदर्शित किया जा चुका है और अब यह भारत में भी दर्शकों के सामने आने वाली है। 26 सितंबर को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली यह फिल्म सिर्फ मनोरंजन ही नहीं, बल्कि समाज और इंसान के जख्मों का सजीव चित्रण भी है।

कहानी

फिल्म की कहानी दो दोस्तों मोहम्मद शोएब (ईशान खट्टर) और चंदन कुमार (विशाल जेठवा) के इर्द-गिर्द घूमती है। दोनों का सपना पुलिस की वर्दी पहनने का है, लेकिन समाज की पुरानी दीवारें उनके रास्ते में अड़चन बनकर खड़ी होती हैं—शोएब को उसकी धार्मिक पहचान रोकती है और चंदन को जाति। फिल्म हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या मेहनत और लगन ही काफी हैं, या फिर हमारे सपनों से भी बड़ी ये पुरानी जंजीरें हैं।

कहानी में जान्हवी कपूर का किरदार, सुधा भारती, उम्मीद और हौसले का प्रतीक है। हालात चाहे कैसे भी हों, वह सपने देखने और आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं।

अभिनय

‘Homebound’ का सबसे बड़ा आकर्षण इसका अभिनय है। ईशान खट्टर ने मोहम्मद शोएब के किरदार में जान डाल दी है। उनकी आंखों में कभी सपनों की चमक होती है, तो कभी टूटी उम्मीदों का दर्द। विशाल जेठवा चंदन के रूप में फिल्म का दिल हैं—उनकी सादगी और भीतर की आग दर्शकों को बार-बार झकझोर देती है।

यह भी पढ़े: यूरोप में शुरू हुई ‘Cocktail 2’ की शूटिंग, शाहिद-कृति-रश्मिका की तिकड़ी ने बढ़ाई उत्सुकता

जान्हवी कपूर की मौजूदगी कम है, लेकिन असरदार है। उनकी सादगी कहानी में ताजगी लाती है। सपोर्टिंग कास्ट भी कहानी को जीवंत और हकीकत के करीब लाने में सफल रही है।

निर्देशन

निर्देशक नीरज घेवान ने एक बार फिर साबित किया कि वे आम इंसानों की कहानियों को असली जमीन पर उतारना जानते हैं। मसान में गंगा घाट और जलती चिताओं के बीच की जिंदगी दिखाई गई थी, वहीं Homebound में लॉकडाउन की गलियों, छोटे घरों और तंग खामोशियों के बीच इंसानी जद्दोजहद को बेहतरीन ढंग से दिखाया गया है। कैमरा हर सीन में ऐसा है कि आप खुद वहीं खड़े हुए महसूस करते हैं।

संगीत

संगीत और बैकग्राउंड स्कोर फिल्म की भावनाओं को और मजबूत करते हैं। अमित त्रिवेदी के गाने कम हैं, लेकिन जब आते हैं, कहानी में गहराई भर देते हैं। नारायण चंद्रवर्खर और बेनेडिक्ट टेलर का बैकग्राउंड म्यूजिक खामोश पलों में दर्द और उम्मीद दोनों का एहसास कराता है।

कमियां

फिल्म की गति कभी-कभी धीमी लगती है। जान्हवी कपूर का किरदार छोटा है, अगर इसे और विस्तार दिया जाता तो यह और यादगार बन सकता था। फिल्म हल्की-फुल्की नहीं है और हर दर्शक के लिए आसान नहीं होगी।

‘Homebound’ सिर्फ एक फिल्म नहीं है, यह समाज का आईना है। दोस्ती, जात-पात, धर्म और सपनों की जद्दोजहद एक साथ टकराती है। नीरज घेवान का निर्देशन हर सीन को संवेदनशील और वास्तविक बनाता है। फिल्म थोड़ी धीमी हो सकती है, लेकिन अगर आप सिनेमा को सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि एहसास और अनुभव मानते हैं, तो यह फिल्म आपके दिल में गहरी छाप छोड़ जाएगी।

यह भी पढ़े: Nysa Devgan को लॉन्च करना चाहते हैं करण जौहर, काजोल ने किया बड़ा खुलासा

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *