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Tuesday, May 13, 2025

Indian Cinema ने पूरे किए 112 साल, ‘राजा हरिश्चंद्र’ से शुरू हुई सदी भर की सिनेमाई यात्रा

Indian Cinema ने पूरे किए 112 साल, ‘राजा हरिश्चंद्र’ से शुरू हुई सदी भर की सिनेमाई यात्रा

फिल्मों ने बदला समाज का नजरिया – हर दौर का आईना बना Indian Cinema

03 मई 2025, नई दिल्ली

आज Indian Cinema ने 112 वर्षों का ऐतिहासिक सफर तय कर लिया है। 3 मई 1913 को दादा साहब फाल्के द्वारा निर्देशित भारत की पहली फीचर फिल्म राजा हरिश्चंद्र रिलीज़ हुई थी। यह एक मूक (Silent) फिल्म थी, लेकिन इसकी गूंज ने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को एक नई दिशा दे दी। आज का दिन न केवल सिनेमा प्रेमियों के लिए खास है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, इतिहास और अभिव्यक्ति की शक्ति का प्रतीक भी है।

Indian Cinema की शुरुआत

1913 में जब दादा साहब फाल्के ने राजा हरिश्चंद्र बनाई, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यह छोटी सी शुरुआत एक विशाल इंडस्ट्री का रूप ले लेगी। यह फिल्म राजा हरिश्चंद्र की पौराणिक कहानी पर आधारित थी, जिसमें नैतिकता, सच्चाई और बलिदान जैसे मूल्यों को दर्शाया गया था। इस फिल्म ने भारतीय समाज में कला, संस्कृति और मनोरंजन के नए द्वार खोले।

सिनेमा का सामाजिक प्रभाव

Indian Cinema न केवल मनोरंजन का माध्यम बना, बल्कि इसने समाज में जागरूकता फैलाने, सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित करने और सामाजिक मुद्दों पर संवाद स्थापित करने में भी अहम भूमिका निभाई। विभाजन, जातिवाद, महिला सशक्तिकरण, स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज के समकालीन मुद्दों तक, सिनेमा ने हर विषय को छुआ है।

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तकनीकी विकास और विविधता

Indian Cinema ने समय के साथ तकनीकी दृष्टि से भी जबरदस्त प्रगति की है — मूक फिल्मों से लेकर टॉकीज़, ब्लैक एंड व्हाइट से रंगीन, और अब डिजिटल व वीएफएक्स तक। हिंदी सिनेमा (बॉलीवुड) के साथ-साथ क्षेत्रीय फिल्म इंडस्ट्री जैसे तमिल, तेलुगु, मलयालम, बंगाली, मराठी और पंजाबी सिनेमा ने भी विश्व मंच पर अपनी पहचान बनाई है।

सिनेमा और राष्ट्र निर्माण

यह तथ्य गर्व का विषय है कि Indian Cinema पाकिस्तान (स्थापना: 1947) और बांग्लादेश (स्थापना: 1971) से भी पुराना है। भारतीय फिल्में सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विश्वभर में देखी जाती हैं और भारतीय संस्कृति की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुदृढ़ करती हैं।

दादा साहब फाल्के: Indian Cinema के जनक

दादा साहब फाल्के को “Indian Cinema का जनक” कहा जाता है। उन्होंने न केवल पहला कदम उठाया, बल्कि तकनीकी, रचनात्मक और प्रबंधन के स्तर पर भी बुनियादी ढांचा तैयार किया। उनकी स्मृति में हर साल दादा साहब फाल्के पुरस्कार दिया जाता है, जो Indian Cinema का सर्वोच्च सम्मान है।

112 साल पहले जो बीज बोया गया था, वह आज एक विशाल वटवृक्ष बन चुका है। Indian Cinema ने न केवल अपने दर्शकों का मनोरंजन किया है, बल्कि उन्हें सोचने, समझने और बदलाव लाने की प्रेरणा भी दी है। यह दिन हमें उस विरासत को याद करने और उसके भविष्य को संवारने का अवसर देता है।

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