Saare Jahan Se Accha Review: क्या यह सीरीज उम्मीदों पर खरी उतरती…

Saare Jahan Se Accha Review: क्या यह सीरीज उम्मीदों पर खरी उतरती है या वक्त की बर्बादी है?

देशभक्ति और जासूसी का संगम, लेकिन अधूरी चमक के साथ Saare Jahan Se Accha

नई दिल्ली, 14 अगस्त 2025

रेटिंग: ⭐⭐⭐ (3/5)

नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई Saare Jahan Se Accha एक काल्पनिक जासूसी-थ्रिलर है, जो सच्ची घटनाओं से प्रेरित होकर बनाई गई है और सिनेमाई स्वतंत्रता का भरपूर इस्तेमाल करती है। 1970 के दशक की पृष्ठभूमि में सेट यह सीरीज भारत और पाकिस्तान की परमाणु हथियार बनाने की दौड़ के इर्द-गिर्द घूमती है।

कहानी की झलक

कहानी की शुरुआत होती है प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. होमी जहांगीर भाभा की रहस्यमयी विमान दुर्घटना से। रॉ एजेंट विष्णु शंकर (प्रतीक गांधी) इस हादसे को रोक पाने में नाकाम रहते हैं और इसका अपराधबोध उन्हें सालों तक सताता है। इसी बीच, 1971 के युद्ध में हार झेलने के बाद पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो परमाणु बम बनाने की योजना में जुट जाते हैं, जिसकी जिम्मेदारी आईएसआई अधिकारी मुर्तजा मलिक (सनी हिंदुजा) को मिलती है।

इसके जवाब में, रॉ अपने सर्वश्रेष्ठ एजेंट्स को पाकिस्तान में एक खतरनाक मिशन पर भेजती है। कहानी विष्णु और मुर्तजा के बीच के टकराव, चालाकी और जासूसी की जंग पर केंद्रित है।

लेखन और निर्देशन

Saare Jahan Se Accha सीरीज का निर्देशन सुमित पुरोहित ने किया है, जबकि लेखन टीम में अभिजीत खुमान, कुणाल कुशवाह, भावेश मंडालिया और अन्य शामिल हैं। शुरुआती तीन एपिसोड दमदार हैं, लेकिन चौथे से छठे एपिसोड तक कहानी कमजोर पड़ती जाती है। 1974 के परमाणु परीक्षण का जिक्र सिर्फ आखिरी एपिसोड में किया गया है, जिससे मुख्य विषय अधूरा लगता है।

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अच्छी बात यह है कि Saare Jahan Se Accha सीरीज में सिर्फ 6 एपिसोड हैं, जिससे गति बनी रहती है। खास बात यह भी है कि इसमें पाकिस्तान को खलनायक के रूप में एकतरफा नहीं दिखाया गया—मुर्तजा का किरदार विष्णु जितना ही मजबूत और दिलचस्प है। हालांकि, क्लाइमेक्स में मुर्तजा के अचानक बदले रवैये से रोमांच कम हो जाता है।

अभिनय का असर

प्रतीक गांधी, रजत कपूर और तिलोत्तमा शोम जैसे कलाकार अपने दमदार अभिनय से कमजोर लेखन को संभालते हैं। लेकिन सनी हिंदुजा पूरे शो के सीन-स्टीलर साबित होते हैं। उनका उर्दू लहजा और किरदार की गहराई काबिले तारीफ है। सुहैल नायर भी सुखबीर के रूप में यादगार प्रदर्शन करते हैं, जबकि अनूप सोनी, कृतिका कामरा और अन्य कलाकारों ने भी अच्छा काम किया है।

अंतिम फैसला

Saare Jahan Se Accha एक बार देखने लायक सीरीज है, खासकर अगर आप जासूसी कहानियों और देशभक्ति के मिश्रण को पसंद करते हैं। 79वें स्वतंत्रता दिवस पर इसे रिलीज करना गुमनाम नायकों को श्रद्धांजलि देने का अच्छा तरीका है। बेहतरीन बैकग्राउंड स्कोर और कुछ यादगार संवादों के बावजूद, यह सीरीज जासूसी-थ्रिलर शैली में कोई नया आयाम नहीं जोड़ पाती। अच्छा है कि फिलहाल इसके सीजन 2 की कोई योजना नहीं है।

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