Sarzameen Review: कर्तव्य और परिवार के बीच जंग, Ibrahim Ali Khan की…
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‘Sarzameen’—एक ईमानदार प्रयास, जो पूरी तरह प्रभावशाली नहीं बन पाया
नई दिल्ली , 25 जुलाई 2025
रेटिंग: ⭐⭐✨ (2.5/5)
कायोज ईरानी की पहली फिल्म ‘Sarzameen’ ओटीटी पर रिलीज हो चुकी है। फिल्म में काजोल, पृथ्वीराज सुकुमारन और सैफ अली खान के बेटे Ibrahim Ali Khan मुख्य भूमिकाओं में हैं। जानिए कैसी है ये फिल्म।
कहानी: फर्ज और रिश्तों के बीच फंसा एक सैनिक
कहानी मेजर विजय मेनन (पृथ्वीराज सुकुमारन) से शुरू होती है, जो एक सफल सैन्य अभियान के बाद राष्ट्रीय हीरो बन चुके हैं। देश के लिए उनका समर्पण अटूट है, लेकिन परिवार के साथ उनका रिश्ता कमजोर पड़ता जा रहा है। पत्नी मेहर (काजोल) और बेटा हरमन इस बदले हुए माहौल में खुद को ढालने की कोशिश करते हैं।
हालात तब बिगड़ते हैं जब आतंकी विजय को एक कठिन चुनाव के सामने खड़ा कर देते हैं—देश को बचाओ या अपने बेटे को। विजय अपने फर्ज को चुनता है और बेटा खो देता है। आठ साल बाद वह राहत अभियान में अपने बेटे से मिलता है, लेकिन क्या यह वही बेटा है? यहीं से कहानी रहस्य की दिशा पकड़ती है।
काजोल ने संभाली कमान, पृथ्वीराज औसत, Ibrahim Ali Khan ने चौंकाया
काजोल एक भावनात्मक मां के किरदार में पूरी तरह फिट बैठती हैं। उनकी आंखों में दर्द और चेहरे पर मजबूरी हर सीन को असरदार बनाते हैं। पृथ्वीराज का अभिनय मजबूती दिखाता है, लेकिन चरित्र की भावनाओं की गहराई दर्शकों तक पूरी तरह नहीं पहुंच पाती।
Ibrahim Ali Khan ने अपनी पहली फिल्म में उम्मीद से ज्यादा अच्छा काम किया है। हालांकि उनकी स्क्रीन पर मौजूदगी सीमित है, लेकिन कम डायलॉग्स में भी वे सहज दिखते हैं। एक्शन दृश्यों में वह थोड़ा कमजोर लगते हैं, लेकिन इमोशनल सीन में उनका प्रदर्शन बेहतर है।
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निर्देशन और तकनीकी पक्ष
कायोज ईरानी का निर्देशन ईमानदार है, लेकिन अनुभव की कमी झलकती है। पहला हाफ धीमा है और कई ट्विस्ट बिना तैयारी के सामने आते हैं। सिनेमैटोग्राफी बेहतरीन है, खासकर सीमा से जुड़े लोकेशंस। संगीत मिश्रित प्रभाव डालता है—कहीं कहानी को सहारा देता है, तो कहीं रफ्तार तोड़ देता है।
फिल्म का सबसे बड़ा सवाल—काजोल का किरदार आखिर क्या चाहता था? यह रहस्य पूरी तरह खुल नहीं पाता, जिससे क्लाइमैक्स अधूरा लगता है।
स्क्रिप्ट की कमजोर कड़ी
फिल्म का आइडिया दमदार है—एक सैनिक जो फर्ज निभाने के लिए अपने बेटे को खो देता है। लेकिन पटकथा उस दर्द और गहराई को पूरी तरह सामने नहीं लाती। कई सब-प्लॉट अधूरे लगते हैं। रहस्य वाला एंगल भी पर्याप्त तनाव नहीं पैदा कर पाता।
फाइनल वर्डिक्ट
‘Sarzameen’ एक साहसी प्रयास है, जो युद्ध के बजाय रिश्तों और भावनाओं की पड़ताल करता है। काजोल का दमदार अभिनय, लोकेशंस और विषय फिल्म की ताकत हैं, लेकिन कमजोर लेखन और धीमी गति इसे औसत बना देते हैं। अगर आप फैमिली ड्रामा और पैट्रियॉटिक टच वाली फिल्में पसंद करते हैं, तो इसे एक बार देख सकते हैं।