चार साल बाद वापसी, लेकिन क्या Bandish Bandits Season 2 उम्मीदों पर खरा उतरता है?
14 दिसंबर 2024 , नई दिल्ली
चार साल के लम्बे इंतजार के बाद, Bandish Bandits के फैंस को आखिरकार वो सीजन मिला जिसकी उन्हें उम्मीद थी। पहली सीरीज़ के अनूठे कंटेंट और शानदार संगीत ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया था, और सीज़न 2 में भी यही मास्टरपीस देखने को मिलता है। हालांकि, कहानी में कुछ प्रेडिक्टेबल और धीमे मोड़ जरूर हैं, लेकिन जिस तरह से इसे पेश किया गया है, वह दर्शकों को अंत तक बांधे रखता है।
कहानी: म्यूजिक और प्रेम के बीच संघर्ष
सीज़न 2 उसी जगह से शुरू होता है, जहां सीज़न 1 खत्म हुआ था। राधे राठौड़ (Ritwik Bhowmik), जो अब ‘संगीत सम्राट’ के खिताब से नवाजे जा चुके हैं, अपनी पारिवारिक संगीत धरोहर को संजोने में व्यस्त हैं। वहीं, तमन्ना (Shreya Chaudhary) अब कसौली के रॉयल हिमालयन म्यूजिक स्कूल में पढ़ाई कर रही है। लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब पंडित राधेमोहन राठौड़ (Naseeruddin Shah ) का निधन हो जाता है और लेखक कैलाश मांडरेकर (Suyash Tilak ) उनकी स्याह पक्षों को उजागर कर देते हैं। इस घटनाक्रम से राधे और उनके परिवार की प्रतिष्ठा पर आंच आ जाती है।
इसी दौरान, इंटरनेशनल बैंड चैम्पियनशिप की घोषणा होती है और राधे इसे जीतकर परिवार का मान पुनः स्थापित करने के लिए एक बैंड बनाने की योजना बनाता है। उधर, तमन्ना भी अपनी टीम के साथ इस प्रतियोगिता में भाग ले रही है। क्या ये दोनों एक-दूसरे के विरोधी बनेंगे या फिर उनके रास्ते एक हो जाएंगे, यह जानने के लिए आपको सीरीज़ देखनी होगी।
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सीरीज़ की खूबियां और कमजोरियां
सीरीज़ के शुरुआती चार एपिसोड राधे और तमन्ना की जर्नी को कनेक्ट करते हैं, जो एक-दूसरे से दूर होते हुए भी अपने संघर्ष में एक समान होते हैं। इसके बाद, बैंड चैम्पियनशिप पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो काफी सामान्य सी चीज़ लगती है, क्योंकि हम पहले भी इस तरह के कॉम्पिटीशन को कई म्यूजिक रियलिटी शोज़ में देख चुके हैं। हालांकि, ड्रामा का तड़का इसे फिर भी बोरिंग होने से बचाता है।
इस बार कहानी में एक महत्वपूर्ण तत्व जोड़ा गया है – महिला सशक्तिकरण, जो शीबा चड्ढा के किरदार से सामने आता है। इसके अलावा, सीरीज़ में प्रतिस्पर्धा, ईर्ष्या और आंतरिक द्वन्द जैसी इंसानी भावनाओं को भी खूबसूरती से पेस किया गया है। लेकिन, कुछ सबप्लॉट्स जैसे तमन्ना और अयान का अफेयर या अनन्या का किरदार कहानी में कुछ खास योगदान नहीं दे पाते, जिससे शो का interest थोड़ा कमजोर होता है।
संगीत: दिल को छू लेने वाला
संगीत इस सीरीज़ की आत्मा है और सीज़न 2 में भी इसको पूरा सम्मान दिया गया है। पहले सीज़न में शंकर-एहसान-लॉय ने संगीत का जिम्मा संभाला था, और इस बार आकाशदीप सेनगुप्ता ने एना रहमान और दिग्विजय सिंह परियार (डीगवी) जैसे शानदार संगीतकारों को जोड़कर एक बेहतरीन संगीत अनुभव प्रदान किया है। भारतीय संगीत की समृद्ध विरासत और आधुनिक फ्यूज़न का सही मिश्रण दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। बैकग्राउंड म्यूजिक भी शो की खासियत है और हर दृश्य में अपनी छाप छोड़ता है।
अभिनय: बेहतरीन प्रदर्शन
अभिनय के मामले में, श्रेया चौधरी और ऋत्विक भौमिक ने एक बार फिर यह साबित किया कि उनके कंधों पर इस शो का भार पूरी तरह से डाला जा सकता है। दोनों ने अपने-अपने किरदारों को बखूबी निभाया है। नसीरुद्दीन शाह, शीबा चड्ढा, राजेश तैलंग, अतुल कुलकर्णी और दिव्या दत्ता जैसे अनुभवी कलाकारों ने अपने-अपने किरदारों को बहुत प्रभावी तरीके से पेश किया है। कुणाल रॉय कपूर का किरदार इस सीरीज़ में हास्य का तत्व लेकर आता है, हालांकि उनका रोल सीमित है। इस बार अर्जुन रामपाल भी एक नए चेहरे के रूप में दिखाई देते हैं, जो एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
कुल मिलाकर
Bandish Bandits Season 2 एक शानदार म्यूजिकल ड्रामा है, जिसमें संगीत, संघर्ष और इमोशन्स का बेहतरीन मिलाजुला देखने को मिलता है। हालांकि, कुछ कमियां भी हैं जैसे धीमी गति से चलती कहानी और अनावश्यक सबप्लॉट्स, लेकिन इसके बावजूद यह सीरीज़ एक बेहतरीन अनुभव देती है। यदि आप म्यूजिक और इमोशन के बेहतरीन मिश्रण के शौकिन हैं, तो यह सीरीज़ आपके लिए एक दमदार पैकेज साबित हो सकती है।
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