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Tuesday, July 8, 2025

From Motihari to Latin America – Prabhakar Sharan’s Cinematic Journey

Prabhakar Sharan

बिहार की धरती हमेशा से प्रतिभाओं की खान रही है। साहित्य, राजनीति, खेल या कला—हर क्षेत्र में इस मिट्टी ने देश को बेमिसाल रत्न दिए हैं। इन्हीं में एक नाम है Prabhakar Sharan का, जिन्होंने ना केवल बॉलीवुड में बल्कि लैटिन अमेरिकी सिनेमा में भी अपनी अलग पहचान बनाई है। प्रभाकर शरण पहले भारतीय हैं जिन्होंने लैटिन अमेरिकी फिल्मों में बतौर हीरो मुख्य भूमिका निभाई है, और यह उपलब्धि अपने आप में ऐतिहासिक है।

प्रारंभिक जीवन और संघर्ष

Prabhakar Sharan का जन्म 22 फरवरी 1980 को बिहार के मोतीहारी में हुआ। साधारण परिवार से आने वाले प्रभाकर का सपना था फिल्मों में काम करने का, लेकिन यह रास्ता आसान नहीं था। अपने सपनों को उड़ान देने के लिए उन्होंने विदेश का रुख किया और कोस्टा रिका (सेंट्रल अमेरिका) पहुंचे। यहां उन्होंने ना केवल पढ़ाई की बल्कि थिएटर और एक्टिंग की बारीकियां भी सीखीं।

लैटिन अमेरिका में भारतीय सितारा

कोस्टा रिका में प्रभाकर शरण ने अपनी मेहनत, लगन और एक्टिंग के जुनून से वह कर दिखाया जो आज तक किसी भारतीय ने नहीं किया था। उन्होंने एक स्पैनिश भाषा की फिल्म “Enredados: La Confusión” में न केवल अभिनय किया, बल्कि इस फिल्म के निर्देशक और निर्माता भी रहे। यह फिल्म एक रोमांटिक-एक्शन कॉमेडी थी, जिसे लैटिन अमेरिकी दर्शकों ने खूब सराहा।

“Enredados: La Confusión” की खास बात यह थी कि इसमें भारतीय संस्कृति और बॉलीवुड स्टाइल का खूबसूरत मिश्रण देखने को मिला। प्रभाकर ने यह साबित कर दिया कि कला की कोई सीमा नहीं होती—न भाषा की, न भूगोल की।

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भारत में भी शुरू हुई नई पहचान

लैटिन अमेरिकी फिल्मों में सफलता के बाद प्रभाकर शरण भारत लौटे और यहां भी अपनी यात्रा को आगे बढ़ाया। उनका उद्देश्य स्पष्ट था—भारत और लैटिन अमेरिका के बीच सांस्कृतिक सेतु का निर्माण करना। वे चाहते हैं कि भारत और लैटिन अमेरिका एक-दूसरे के सिनेमा, संगीत और कला को जानें और सराहें।

प्रभाकर कई वेब प्रोजेक्ट्स और फिल्मों में भारत में भी सक्रिय हैं। साथ ही वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए सेमिनार्स और वर्कशॉप्स में भी हिस्सा लेते हैं।

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बिहार का गौरव, युवाओं के लिए प्रेरणा

प्रभाकर शरण आज उन युवाओं के लिए मिसाल हैं जो छोटे शहरों से बड़े सपने देखते हैं। उन्होंने दिखाया कि अगर जुनून सच्चा हो और इरादे मजबूत, तो मोतीहारी से निकलकर भी कोई लैटिन अमेरिकी फिल्म इंडस्ट्री में नाम कमा सकता है।

“एक बिहारी, सब पे भारी” का अर्थ अब सिर्फ कहावत नहीं, बल्कि प्रभाकर जैसे सितारों की वजह से एक हकीकत बन गया है।

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