‘Raid 2’ Review: कहानी में पुराना स्वाद, नए चेहरे, लेकिन उतना असर नहीं!

‘Raid 2’ में है ड्रामा, सस्पेंस और रितेश की शानदार वापसी
02 मई 2025, नई दिल्ली
कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जिनका पहला भाग दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ जाता है। ऐसे में जब उस फिल्म का दूसरा भाग आता है, तो उम्मीदें अपने आप ही बढ़ जाती हैं। ‘Raid’ जैसी फिल्म ने जब पहली बार दस्तक दी थी, तो उसकी सादगी, वास्तविकता और रोमांच ने दर्शकों को बांधे रखा था। अब उसी की अगली कड़ी ‘Raid 2’ आई है। अजय देवगन एक बार फिर ईमानदार आईआरएस अधिकारी अमय पटनायक के रूप में लौटे हैं। इस बार उनके साथ एक बड़ा सरप्राइज हैं रितेश देशमुख, जिनका किरदार कहानी को नई दिशा देता है। लेकिन क्या ये सीक्वल उम्मीदों पर खरा उतरता है? आइए जानते हैं।
कहानी में क्या है खास?
‘Raid 2’ की कहानी वहीं से आगे बढ़ती है जहां पिछली फिल्म ने छोड़ा था। अमय पटनायक अब भी उतने ही ईमानदार, दृढ़ और निडर हैं, लेकिन इस बार मामला ज्यादा पेचीदा है। भ्रष्टाचार की जड़ें और गहरी हैं, और उसके सामने है एक नया, खतरनाक विरोधी — दादा मनोहर भाई, जिसका किरदार निभाया है रितेश देशमुख ने।
फिल्म की शुरुआत अमय के बार-बार हो रहे ट्रांसफर से होती है, और जल्द ही उस पर खुद भ्रष्टाचार का आरोप लग जाता है। इसी के बीच उसे सौंपा जाता है अपना 75वां और सबसे कठिन केस। यह केस उसे ले जाता है दादा भाई के जाल में, जहां राजनीति, लालच और विश्वासघात की गहरी परतें खुलती जाती हैं।
जहां पहली फिल्म एक मजबूत स्क्रिप्ट और सस्पेंस पर टिकी थी, वहीं ‘Raid 2’ में थोड़ा ज़्यादा ड्रामा और कम पकड़ नजर आती है। कहानी में कई उतार-चढ़ाव हैं, लेकिन कुछ हिस्से खिंचे हुए और अनावश्यक लगते हैं।
अभिनय की बात करें तो…
अजय देवगन ने एक बार फिर अमय पटनायक के किरदार में जान डाल दी है। उनकी गंभीरता, आत्मविश्वास और संवाद अदायगी में वही पुरानी मजबूती है। लेकिन इस बार पूरी लाइमलाइट रितेश देशमुख ले जाते हैं। उन्होंने नकारात्मक किरदार में शानदार काम किया है और हर फ्रेम में अपनी मौजूदगी का असर छोड़ा है। यह रोल उनके करियर के सबसे अलग भूमिकाओं में से एक है और उन्होंने इसे बखूबी निभाया है।
वाणी कपूर फिल्म में थोड़े समय के लिए नजर आती हैं, लेकिन वो प्रभावशाली हैं। सौरभ शुक्ला, जो पिछली फिल्म की जान थे, इस बार कहानी में उतने अहम नहीं हैं, फिर भी उनकी मौजूदगी कहानी को मजबूती देती है। सुप्रिया पाठक का किरदार जितना अहम था, उतनी ही उनकी परफॉर्मेंस कमजोर रही। कई दृश्यों में उनका अभिनय अतिनाटकीय लगने लगता है, जिससे सीन की गहराई खत्म हो जाती है। वहीं अमित सियाल ने एक बार फिर अपने अभिनय से लोगों का ध्यान खींचा है और क्लाइमैक्स में बड़ा मोड़ उन्हीं के जरिए आता है।
निर्देशन और तकनीकी पक्ष
पहली ‘Raid’ का निर्देशन एक बड़ी ताकत थी, लेकिन इस बार निर्देशक राज कुमार गुप्ता दर्शकों को वैसा जादू महसूस नहीं करा पाते। कहानी की रफ्तार खासकर पहले हाफ में काफी धीमी है। कुछ गाने फिल्म की गति को तोड़ते हैं और एडिटिंग में कसाव की कमी दिखती है। क्लाइमैक्स तक पहुंचने में कहानी वक्त लेती है, और बीच में कई बार दर्शक कहानी से जुड़ नहीं पाते।
क्या देखनी चाहिए ये फिल्म?
‘Raid 2’ एक ऐसी फिल्म है जो पहले भाग जितना प्रभावशाली तो नहीं है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी ताकत है इसके कलाकार। अजय देवगन और रितेश देशमुख की टक्कर देखने लायक है। फिल्म में कुछ ऐसे पल हैं जो आपको बांधते हैं, कुछ संवाद अच्छे हैं और अभिनय दमदार है, लेकिन पटकथा में जो कसाव होना चाहिए था, वह गायब है।
यदि आप एक थ्रिलर ड्रामा देखना चाहते हैं जिसमें भ्रष्टाचार, सत्ता और ईमानदारी की लड़ाई हो — और आप अजय या रितेश के फैन हैं, तो यह फिल्म एक बार देखी जा सकती है।
हमारी रेटिंग: ⭐⭐⭐ (3/5)
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