Friday, December 6, 2024
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Singham Review : ‘Singham Again’ – बाजीराव का ‘पर्सनल’ बदला और जनता का ‘धैर्य’ परीक्षण

 

निर्देशक Rohit Shetty बहुत अच्छे स्टंट डायरेक्टर हैं, इसमें कोई शक नहीं है। वह एक्शन फिल्ममेकर हैं कॉमेडी में उनका हाथ कितना तंग है, दर्शक फिल्म ‘सर्कस’ में देख ही चुके हैं और फिल्म ‘Singham Again’ में कॉमेडी के नाम पर जो कुछ रणवीर सिंह ने किया है, वह उसी फिल्म का एक्सटेंशन जैसा लगता है। कहानी इस बार सामाजिक की नहीं ‘पर्सनल’ है।

फिल्म ‘Singham Again’ देखकर ऐसा महसूस होता है जैसे Rohit Shetty अपनी पुरानी फिल्मों की कट-और-पेस्ट कॉपी लेकर आए हैं। डायरेक्टर ने स्टंट तो कड़क बनाए हैं,  वो समाज सुधारक सिंघम अब पर्सनल दुश्मनी पर उतर आया है, लेकिन उसकी लफ्फाजी “मेरी जरूरतें कम हैं, इसलिए मेरे जमीर में दम है” जैसी भारी-भरकम लाइनें बर्दाश्त करना आसान नहीं। वह सिंघम जिसके कहानी के मुताबिक ‘पुजारी’ पूरे देश की सूबे की पुलिस में हैं। सरकार (केंद्र की ही होगी) ने इन सारे पुलिस अफसरों को मिलाकर एक शिवा स्क्वॉड बनाया है। और, दरवाजा तोड़ने के लिए दया को भी रखा है। आगे इसमें दाढ़ी वाले चुलबुल पांडे भी आने वाले हैं, लेकिन तब तक इसी फिल्म पर टिके रहते हैं।

Singham Review : 'Singham Again' – बाजीराव का 'पर्सनल' बदला और जनता का 'धैर्य' परीक्षण
Singham Review : ‘Singham Again’ – बाजीराव का ‘पर्सनल’ बदला और जनता का ‘धैर्य’ परीक्षण

टिके रहने का ध्यान इसलिए दिलाना जरूरी है क्योंकि फिल्म ‘Singham Again’ बनाते समय इसके पौन दर्जन लेखक भी ‘सूर्यवंशी’ की तरह शायद ये बार बार भूलते रहे कि आखिर फिल्म की कहानी क्या है? कहानी का सूत्र रोहित शेट्टी ने सबको यही थमाया या यूं कहें की कलयुग का रामयण फिल्म दिवाली पर रिलीज करनी है तो रामकथा फिट रहेगी। एक श्लोकी रामायण वह ‘रावण’ का संहार होने से पहले ही बैकग्राउंड में बजा देते हैं।

Singham Review : 'Singham Again' – बाजीराव का 'पर्सनल' बदला और जनता का 'धैर्य' परीक्षण
Singham Review : ‘Singham Again’ – बाजीराव का ‘पर्सनल’ बदला और जनता का ‘धैर्य’ परीक्षण

 किरदारों की भीड़ और कन्फ्यूजन

जैसे-जैसे फिल्म बढ़ती है, रामायण की तरह नए-नए किरदारों की बाढ़ आती है। दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह से लेकर टाइगर श्रॉफ तक, हर कोई अपने फिक्स्ड एक्सप्रेशन और स्टाइलिश एंट्री में डूबा है। फिल्म ‘सिंघन अगेन’ की सबसे बड़ी कमजोरी हैं टाइगर श्रॉफ। उनका किरदार स्थापित करने के लिए फिल्म लंबी खिंचती है। फिल्म की ये कड़ी ही इस फिल्म को ढीला कर देती है। टाइगर श्रॉफ एजेंसी के बनाए कलाकार हैं। लोगों से सीधे बात करनी उनको आती नहीं है। परदे पर भी वही गिनती की उछल कूद। वही शर्ट उतारने  टाइगर श्रॉफ तो सीधे-सीधे ‘बड़े मियां छोटे मियां’ से निकलकर यहां टपके हैं – वही उछल-कूद, वही मांसपेशियों का फ्लॉन्ट, और वही लिमिटेड एक्टिंग रेंज। स फिल्म से ये जरूर तय हो गया कि टाइगर श्रॉफ की हाइट कम से कम 170 सेमी जरूर है क्योंकि इससे कम का कोई जनरल कैटेगरी का युवा दरोगा नहीं बन सकता। फिल्म के तमाम दूसरे कलाकार भी सिर्फ फिल्म की स्टार वैल्यू बढ़ाने के लिए हैं। जितनी गंभीरता से अजय देवगन और करीना कपूर ने अपने किरदार निभाए हैं, उतनी गंभीरता न अक्षय कुमार में दिखती है और न टाइगर श्रॉफ में। दोनों ‘बड़े मियां छोटे मियां’ का एक्सटेंशन जरूर लगते हैं।

 

 

रणवीर सिंह की कॉमेडी या कॉमेडी की रणवीर-सिंगता?

फिल्म में रणवीर सिंह को देख लगता है जैसे वह ‘सर्कस’ से डायरेक्ट सेट पर पहुंच गए हों, बस उस फिल्म के सीन उठा लिए गए हैं और यहां नए संवाद डाल दिए गए हैं। कॉमेडी के नाम पर उनके डायलॉग्स कभी-कभी खुद को भी नहीं हंसा पाते। उनके जोक्स की सीरियसनेस देखकर लगता है कि रोहित शेट्टी ने उन्हें कसम दी थी – “तू कॉमेडी कर, पर हंसी बिलकुल नहीं आनी चाहिए।” दीपिका ने ये फिल्म अपनी गर्भावस्था में शूट की थी और तारीफ करने होगी उनकी उन सारा बॉडी डबल्स की जिन्होंने दीपिका के बदले फिल्म में लॉन्ग और मिड शॉट्स में काम किया है। दीपिका के चेहरे पर दिखने वाली मासूमियत और चिर परिचित शरारत अब भी बाकी है। लेकिन, उनको इस कमजोर किरदार में देखकर दुख होता है। यहां वह एक ऐसी पुलिस अफसर के किरदार में हैं जिनके कार्यक्षेत्र में आने वाले थाने के 14 सिपाहियों को डैंजर लंका जिंदा जला देता है। नाम उनका शक्ति शेट्टी है और फिल्म के क्लाइमेक्स में ये किरदार सिर्फ आतिशबाजी करने वाली भीड़ का हिस्सा बन जाता है।

 

Singham Review : 'Singham Again' – बाजीराव का 'पर्सनल' बदला और जनता का 'धैर्य' परीक्षण
Singham Review : ‘Singham Again’ – बाजीराव का ‘पर्सनल’ बदला और जनता का ‘धैर्य’ परीक्षण

डायलॉग्स और जबर्दस्ती का इमोशनल ड्रामा

फिल्म के डायलॉग्स ऐसे लगते हैं जैसे उन्हें 90’s की मसाला फिल्मों से रीमेक किया गया हो। सुनकर लगता है जैसे हमारे ऊपर ‘संस्कारी संवाद’ थोपा जा रहा है। शिव तांडव, हनुमान चालीसा, और रामायण के श्लोक – सब कुछ हर पांच मिनट में ठूस-ठूस कर डाला गया है, लेकिन ये प्रभाव कम, गानों का रीमिक्स ज्यादा लगता है।  फिल्म के संवाद जब फिल्मी लगने लगें तो समझिए उनमें मेहनत बहुत की गई है और सुनील शेट्टी के अभिनय जैसी ये मेहनत दर्शक पकड़ तुरंत लेते हैं। फिल्म की एक और कमजोर कड़ी है, इसका पार्श्व संगीत। हनुमान चालीसा, शिव तांडव स्तोत्र, एक श्लोकी रामायण का जब जी चाहे वहां प्रयोग कर लेना ठीक नहीं लगता। ये वे सारी परंरपराएं हैं जो खंडित रूप में प्रयोग में नहीं लाई जातीं। हनुमान चालीसा को मनोरंजन का माध्यम बनाना भी ठीक नहीं है। वह कलयुग में खुद को भगवान तक न मानने वाले हनुमान के प्रति उनके अनुयायियों की श्रद्धा है।

Singham Review : 'Singham Again' – बाजीराव का 'पर्सनल' बदला और जनता का 'धैर्य' परीक्षण
Singham Review : ‘Singham Again’ – बाजीराव का ‘पर्सनल’ बदला और जनता का ‘धैर्य’ परीक्षण

सिनेमैटोग्राफी – आउटडोर में दम, इनडोर में तमाम

कश्मीर की खूबसूरती जरूर सिनेमैटोग्राफी के कैमरे में कैद हो पाई है, और इसे देखकर अच्छा लगता है। लेकिन, इनडोर शॉट्स में वही पुरानी साजिशों का किचन है। रणवीर सिंह की जबरदस्ती की कॉमेडी और दीपिका की बॉडी डबल वाली ऐक्टिंग को देखकर तो निराशा होती है। और, अजय देवगन और करीना कपूर का अभिनय भले ही सधा हुआ है, लेकिन बाकी किरदार इधर-उधर भटकते हुए प्रतीत होते हैं।

Singham Review : 'Singham Again' – बाजीराव का 'पर्सनल' बदला और जनता का 'धैर्य' परीक्षण
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डायलॉग्स का गोरखधंधा और स्टंट की रट

फिल्म के संवाद बेहद फिल्मी और ओवरडोज लगते हैं। “मेरी जरूरतें कम हैं, इसलिए मेरे जमीर में दम है” जैसे डायलॉग्स सुनकर दर्शकों को अपने सब्र का परिक्षण करना पड़ता है। स्टंट सीन जरूर कड़े हैं, लेकिन हर सीन को जैसे अलग-अलग शूट कर जोड़ दिया गया है। स्टंट्स की भी वही पुरानी शैली है – कारें उड़ रही हैं, दरवाजे टूट रहे हैं, लेकिन इमोशन गायब।

फिल्म ‘सिंघम अगेन’ का बज़ रिलीज़ से पहले ही चरम पर था। एडवांस बुकिंग ने शानदार शुरुआत की, और पहले दिन के लिए ही पांच लाख से अधिक टिकटें बिक चुकी थीं। सिर्फ एडवांस बुकिंग से फिल्म ने लगभग 15 करोड़ रुपये का कलेक्शन कर लिया था। अब सभी की निगाहें वीकेंड पर इसके प्रदर्शन पर टिकी हैं। चूंकि रिव्यूज आ चुके हैं, ऐसे में वर्ड ऑफ माउथ ही फिल्म की सफलता में अहम भूमिका निभाएगा। अगर दर्शकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो फिल्म की कमाई में गिरावट आना तय है।

Singham Review : 'Singham Again' – बाजीराव का 'पर्सनल' बदला और जनता का 'धैर्य' परीक्षण
Singham Review : ‘Singham Again’ – बाजीराव का ‘पर्सनल’ बदला और जनता का ‘धैर्य’ परीक्षण

कुल मिलाकर – पैसा वसूल या धैर्य-वसूल?

‘सिंघम अगेन’ एक्शन का मसाला जरूर परोसती है, लेकिन उसमें वो स्वाद नहीं जो ‘सिंघम’ और ‘सिंघम रिटर्न्स’ में था। यदि आपके पास दो-ढाई घंटे का समय और सब्र हो, तो यह फिल्म देखने जा सकते हैं। वरना, घर पर बैठकर पुरानी सिंघम देखकर ही “अता माझी सटकली” का सही मज़ा लें!

 

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