Filmiwire

Tuesday, May 13, 2025

Test Movie Review: जब क्रिकेट के मैदान में भिड़ते हैं जुनून, ईमानदारी और जिंदगी के असली इम्तिहान

Test Movie Review: जब क्रिकेट के मैदान में भिड़ते हैं जुनून, ईमानदारी और जिंदगी के असली इम्तिहान

क्रिकेट के मैदान से लेकर लैब की दीवारों तक… ‘Test’ में हर किरदार देता है ज़िंदगी का कठिन इम्तिहान


04 अप्रैल 2025 , नई दिल्ली

क्रिकेट से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा है, जो उस समय के दो दिग्गज खिलाड़ियों की ईमानदारी और हिम्मत की मिसाल बन गया। एक ऐसा मैच, जिसे सटोरियों ने फिक्स कर दिया था, लेकिन दो खिलाड़ियों ने उस साजिश को नाकाम कर दिया। इनमें से एक को लोग ‘दादा’ के नाम से जानते हैं और दूसरा अपने गुरु का आदर्श शिष्य निकला – इतना कि अपने बेटे का नाम भी अर्जुन रख दिया।

चेपक स्टेडियम की पृष्ठभूमि में गूंथी गई कहानी

इसी सच्ची भावना और खेल के जज़्बे को लेकर निर्देशक एस. शशिकांत लेकर आए हैं फिल्म ‘Test’। फिल्म की कहानी चेपक स्टेडियम में चल रहे एक टेस्ट मैच के इर्द-गिर्द बुनी गई है। इसमें अर्जुन नाम का एक अनुभवी खिलाड़ी है, जिसे टीम से रिटायर करने की साजिश रची जा रही है। अर्जुन चाहता है कि उसका आखिरी मैच यादगार बने। लेकिन, अगर सब कुछ हमारी सोच के मुताबिक ही हो, तो ज़िंदगी को ‘टेस्ट’ क्यों कहते हैं?

एक साइंटिस्ट, जो देश बदलना चाहता है

कहानी का दूसरा हीरो है सरवनन – अमेरिका के प्रतिष्ठित MIT से डबल डॉक्टरेट करके भारत लौटने वाला वैज्ञानिक। वह पानी से हाइड्रो फ्यूल बनाने की तकनीक विकसित कर चुका है, जिससे देश को पेट्रोल-डीजल से मुक्ति मिल सकती है। लेकिन उसका यह सपना भ्रष्ट सिस्टम की भेंट चढ़ने वाला है। रिश्वत मांगने वालों की मांगें बढ़ती हैं और उसकी ईमानदारी का इम्तिहान शुरू हो जाता है।

जब निजी जीवन और देशभक्ति टकराते हैं

सरवनन की पत्नी कुमुदा (नयनतारा) एक स्कूल टीचर है, जो अर्जुन के बेटे आदित्य को पढ़ाती है। कुमुदा कभी अर्जुन की दीवानी थी, और आज भी उसके लिए कोमल भावनाएं रखती है। वह मां बनना चाहती है, लेकिन सरवनन के खराब स्पर्म काउंट की वजह से यह संभव नहीं हो रहा। इलाज के बाद अब मौका है, लेकिन पैसों की तंगी बीच में आ जाती है। सरवनन पर कर्ज का बोझ है, रिश्वत देनी है, पत्नी की उम्मीदें भी पूरी करनी हैं – और यही बनता है फिल्म का असली संघर्ष।

यह भी पढ़े: हॉलीवुड के मशहूर अभिनेता Val Kilmer का निधन, 65 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

हीरो कौन और विलेन कौन?

फिल्म के शुरुआती दृश्य में दो लाइनें आती हैं –

हीरो वो है, जो दुनिया बचाने के लिए अपनों की बलि दे दे।

विलेन वो है, जो अपनों को बचाने के लिए दुनिया तबाह कर दे।

यही है ‘Test’ की असली परीक्षा। सरवनन को हर पल यह तय करना है कि वह हीरो बने या विलेन? देश की भलाई चुने या अपने घरवालों की जरूरत?

माधवन का अभिनय – एक लिटमस टेस्ट

आर. माधवन इस किरदार में जान डाल देते हैं। उनके चेहरे पर मेहनत का पसीना, बालों की खिचड़ी, और आंखों में संघर्ष की चमक – सब कुछ इतना प्रभावशाली है कि हर दर्शक उनकी पीड़ा महसूस कर सकता है। फिल्म में उनका अभिनय ऐसा है कि उन्हें इस रोल के लिए नेशनल अवार्ड मिलना चाहिए।

नयनतारा – हर फ्रेम में चमकती हुई

नयनतारा यानी डायना मरियम कूरियन इस फिल्म में आत्मसम्मानी और भावनात्मक टीचर कुमुदा के रूप में बेहद प्रभावशाली रही हैं। उनके किरदार के उतार-चढ़ाव और अर्जुन के बेटे के प्रति ममता उन्हें खास बनाती है। नयनतारा ने हर पल स्क्रीन पर अपनी मौजूदगी से फिल्म को ऊंचाई दी है।

तकनीकी पक्ष और कमियां

* सिनेमैटोग्राफर विराज सिंह गोहिल ने शानदार फ्रेम्स रचे हैं।

* फिल्म का बैकग्राउंड म्यूज़िक थोड़ी असंगति लिए हुए है।

* क्रिकेट कमेंट्री और स्कोरबोर्ड में सामंजस्य की कमी दिखती है।

* कुछ दृश्य खिंचे हुए लगते हैं, जिन्हें और संपादित किया जा सकता था।

* कॉस्ट्यूम डिज़ाइन में थोड़ी और सावधानी बरती जा सकती थी, खासकर सिद्धार्थ की सफेद शर्ट पर वी आकार की डिजाइन अनावश्यक लगती है।

कुल मिलाकर

‘Test’ एक ऐसी फिल्म है जो खेल, विज्ञान, समाज और व्यक्तिगत भावनाओं को एकसाथ पिरोती है। यह सिर्फ एक क्रिकेट फिल्म नहीं, बल्कि ज़िंदगी के हर मोर्चे पर आने वाले इम्तिहानों की कहानी है। माधवन और नयनतारा की दमदार परफॉर्मेंस, शानदार सिनेमैटोग्राफी और एक थॉट-प्रोवोकिंग स्क्रिप्ट इसे जरूर देखने लायक बनाती है।

रेटिंग: ⭐⭐⭐⭐ (4/5)

यह भी पढ़े: 3 साल बाद राज कुंद्रा की चुप्पी टूटी: आखिर क्यों मांगा इंसाफ?