इस बार Final Destination में मौत अकेले नहीं, पूरी ब्लडलाइन के पीछे आई है!

Final Destination : जिसने मौत को मात दी, अब उसकी संतानों की बारी है
14 मई 2025 , नई दिल्ली
जीवन और मृत्यु — दो ऐसे सत्यों में से एक का हम खुले दिल से स्वागत करते हैं, और दूसरे से आंखें चुराते हैं। हिंदू धर्म में सोलह संस्कारों का वर्णन है, जिनमें अंत्येष्टि अंतिम पड़ाव है। जन्मोत्सव से लेकर विवाह तक हम खुशी से सब कुछ मनाते हैं, लेकिन मृत्यु के नाम पर गहरी चुप्पी छा जाती है। हालांकि, मृत्यु भी उतनी ही निश्चित है जितनी सुबह का सूरज।
इसी अपरिहार्यता को एक रचनात्मक थ्रिल में ढालने वाली फिल्म फ्रेंचाइज़ी है – Final Destination. साल 2000 से अब तक यह हॉरर-थ्रिलर सीरीज़ दर्शकों को डर और जुगुप्सा के बीच झुलाती रही है। और अब इसकी नई कड़ी “Final Destination: Bloodlines” एक और भी डरावना मोड़ लेकर आई है।
जब मौत का इंतज़ार पीढ़ियों तक चलता है…
इस बार कहानी महज़ किसी एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे वंश की है। दशकों पहले हुई एक दुर्घटना में मौत को जो मात मिली थी, उसका हिसाब अब अगली पीढ़ी से वसूला जा रहा है। एक स्कूली छात्रा को बार-बार एक भयानक सपना आता है, जिसमें साठ साल पहले की एक खौफनाक घटना की झलक है।
उसकी नानी उस हादसे से किसी तरह बच गई थी, लेकिन अब नातिन को अहसास होता है कि उनका पूरा परिवार मौत के निशाने पर है।
और यहां मौत कोई भूत नहीं, बल्कि एक अदृश्य शक्ति है — जो मौका देखकर, बेहद वीभत्स ढंग से हमला करती है। इस बार यह न कोई संयोग है, न कोई दुर्घटना — यह पूर्वनियोजित संहार है।
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पहला एक्शन सीन ही बना देता है माहौल
फिल्म की शुरुआत होती है 1960 के दशक में एक रोमांटिक डिनर से। एक ऊंचाई पर बने Skyview Restaurant में एक प्रेमी जोड़ा पहुंचता है। लड़की को वहां किसी अनहोनी का आभास होता है — और अगली ही झलक में आग, भगदड़, और तबाही।
फिल्म का ये शुरुआती दृश्य ही इतना प्रभावशाली है कि दर्शक समझ जाते हैं कि ये ‘Final Destination’ की ही दुनिया है — जहां मौत को कोई धोखा देता है, और वह उसे बाद में सौ गुना भयावह तरीके से पूरा करती है।
डर के साथ रोमांच का नया फॉर्मूला
छात्रा को जब अपनी नानी के पुराने अनुभवों का पता चलता है, तब तक काफी देर हो चुकी होती है। नानी की मौत उसके सामने होती है — एक भयानक, अकल्पनीय और वीभत्स मौत।
इसके बाद फिल्म पूरी तरह से खौफ के कब्जे में आ जाती है। अब सवाल ये नहीं कि कौन मरेगा, बल्कि कैसे मरेगा?
और यही बन जाता है फिल्म की पहचान — ‘Rube Goldberg-style’ मौतें, यानी ऐसी जटिल लेकिन बेहद रचनात्मक रूप से अंजाम दी गई मौतें, जिन्हें देखकर आप डर भी जाते हैं और स्क्रीन से नजरें भी नहीं हटा पाते।
वीडियो गेम जेनरेशन की फिल्म
‘Final Destination: Bloodlines’ उन युवाओं के लिए है जो डर को एंटरटेनमेंट मानते हैं। जिस तरह वीडियो गेम्स में लोग लगातार मरते हैं लेकिन प्लेयर एक्साइटेड रहता है, उसी तरह यहां दर्शक तालियां भी बजाते हैं और सिहरते भी हैं।
ये फिल्म दिखाती है कि आज की पीढ़ी का मनोरंजन कितना बदल गया है — अब डर और वीभत्सता ही नई उम्र का ड्रामा है।
निर्देशक जो फ्रेंचाइज़ी को नई जान देते हैं
निर्देशक एडम स्टीन और जैक लिपोव्स्की ने इस बार कहानी को नया मोड़ दिया है — केवल संयोगवश मौत से बचने वाले लोग नहीं, बल्कि पूरा खून का रिश्ता मौत के शिकंजे में है।
फिल्म में एक के बाद एक दृश्य — जैसे कूड़ा गाड़ी में पिसना, MRI मशीन में फंसना, व्हीलचेयर से ट्रैजेडी — सब कुछ इतना डरावना है कि कमजोर दिल वालों को फिल्म अकेले नहीं देखनी चाहिए।
कलाकारों की अदाकारी भी प्रभावी
कैटलीन सांता जुआना ने छात्रा के रोल में बेहतरीन काम किया है — उसका डर, उसकी बेचैनी और साहस सब दिल को छूते हैं।
रिचर्ड हारमन के किरदार ‘एरिक’ ने भावनात्मक गहराई दी — खासकर जब वह अपने हाथ पर गुस्से में ‘Dad’ टैटू करता है।
टोनी टॉड, जो इस फ्रेंचाइज़ी का जाना-पहचाना चेहरा रहे हैं, इस बार भी अपने अंदाज़ से असर छोड़ते हैं। यह फिल्म उन्हें समर्पित भी है।
तकनीकी पक्ष भी मजबूत
सिनेमैटोग्राफी: क्रिश्यिचन सेबाल्ट ने कैमरे से खौफ को खूबसूरती से कैद किया है।
एडिटिंग: सैबरीना पिट्रे की एडिटिंग कसी हुई है।
म्यूजिक: पहली बार जुड़े टिम विन का बैकग्राउंड स्कोर डर को कई गुना बढ़ा देता है।
इस बार मौत और भी खूबसूरत और खतरनाक है
‘Final Destination: Bloodlines’ डर, थ्रिल, और कल्पनाशीलता का ऐसा मिश्रण है जो आपको हिला कर रख देगा। अगर आप वीभत्स और भयानक रस के रसिक हैं, तो यह फिल्म आपके लिए बनी है।
पर हां — दिल से कमजोर हैं तो अकेले मत देखिए…
क्योंकि इस बार मौत सिर्फ पास नहीं आ रही, बल्कि पीढ़ियों का हिसाब लेने आई है।
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