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Tuesday, July 8, 2025

His Story of Itihaas: जब सिनेमा ने इतिहास से पर्दा उठाया

His Story of Itihaas: जब सिनेमा ने इतिहास से पर्दा उठाया

स्कूल की किताबों से लेकर स्क्रीन तक – ‘His Story of Itihaas’ में दिखा सच्चा भारत

कलाकार: योगेन्द्र टिक्कू, किशा अरोड़ा, आकांक्षा पांडे, अंकुल विकल
निर्देशक: मनप्रीत सिंह धामी
बैनर: पंचकर्मा फिल्म्स
सेंसर सर्टिफिकेट: U/A
अवधि: 143 मिनट

रेटिंग: ⭐⭐⭐⭐✰ (3.5/5)

नई दिल्ली, 30 मई 2025

इतिहास वो आइना है जिसमें कोई सभ्यता अपने बीते कल को देखती है। लेकिन क्या हो जब उस आईने में झूठी तस्वीरें गढ़ दी जाएं? निर्देशक मनप्रीत सिंह धामी की नई फिल्म His Story of Itihaas इसी सवाल का जवाब देती है। यह सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक विचार है, एक चुनौती है — उस इतिहास के खिलाफ जो हमें स्कूलों में पढ़ाया गया, जो सत्ता की राजनीति और वामपंथी एजेंडे का शिकार बना।

एक महीने में बनी क्रांति की कहानी


सिर्फ़ एक महीने से भी कम समय में बनी इस फिल्म ने जो साहस दिखाया है, उसकी मिसाल बॉलीवुड के बड़े प्रोडक्शन हाउसों में भी कम ही देखने को मिलती है। चाहे वो करण जौहर हों या आदित्य चोपड़ा, कोई भी इस तरह का जोखिम उठाकर ऐसा विषय नहीं चुनता, जिसमें न ग्लैमर हो, न मसाला — सिर्फ सच्चाई हो।
निर्देशक धामी और उनकी टीम ने न सिर्फ एक साहसी फिल्म बनाई है, बल्कि यह साबित किया है कि इतिहास को लेकर समाज में जागरूकता अब वक्त की मांग बन चुकी है।

कहानी की जड़ में छिपी है पीढ़ियों की लड़ाई


कहानी एक सामान्य परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है। नितिन (योगेन्द्र टिक्कू), जो पेशे से एक भौतिकी (Physics) शिक्षक हैं, अपनी पत्नी और बेटी के साथ सामान्य जीवन जी रहे होते हैं। लेकिन जब उन्हें पता चलता है कि उनकी बेटी के स्कूल में जो इतिहास पढ़ाया जा रहा है, उसमें मुगल आक्रमणकारियों को ‘हीरो’ और हिंदू शासकों को ‘विलेन’ की तरह पेश किया गया है — तो नितिन का नजरिया बदल जाता है।

वो इस सिस्टम को बदलने की मुहिम शुरू करता है। क्या नितिन इतिहास की इस विकृत धारा को मोड़ पाता है? क्या वो साबित कर पाता है कि सच्चाई किस ओर है? इन्हीं सवालों के जवाब देती है फिल्म की कहानी।

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इतिहास या ‘हिज़्ट्री’? एक विचारणीय प्रश्न


फिल्म इस बात को बेहद मजबूती से सामने रखती है कि भारत का इतिहास वैदिक सभ्यता, उपनिषदों, गणित, खगोल, चिकित्सा, और संगीत में विश्वगुरु रहा है। तब यह कैसे हो सकता है कि मुगलों और अंग्रेजों के आने के बाद ही भारत को ‘सभ्य’ कहा जाने लगा?

फिल्म के एक दृश्य में नायक यह सवाल करता है कि – “जब भारत हजारों वर्षों से उन्नत था, तो फिर 1498 में वास्को डि गामा को किस भारत की खोज करनी पड़ी?”

यह संवाद दर्शक को झकझोर देता है और स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले इतिहास की संरचना पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर देता है।

अभिनय और प्रस्तुति


योगेन्द्र टिक्कू अपने किरदार में गहराई से उतरते हैं और दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ते हैं। किशा अरोड़ा, आकांक्षा पांडे, और अंकुल विकल भी अपने-अपने रोल में सटीक बैठते हैं। फिल्म का निर्देशन सादा लेकिन प्रभावशाली है, और स्क्रीनप्ले को तीखे संवादों और ठोस रिसर्च से ताकत मिलती है।

वामपंथी एजुकेशन सिस्टम पर सीधा प्रहार


फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है उसका साहसिक विषयवस्तु — यह सिर्फ इतिहास के पाठ्यक्रम को ही नहीं, बल्कि वामपंथी विचारधारा से ग्रसित शिक्षा प्रणाली पर भी सीधा प्रहार करती है। फिल्म सवाल उठाती है कि जब देश में बदलाव की सरकार सत्ता में है, तब भी इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में सुधार क्यों नहीं किया गया?

देखें ज़रूर — अपने बच्चों के साथ


His Story of Itihaas एक ऐसी फिल्म है, जिसे अकेले नहीं बल्कि अपने परिवार और खासतौर पर बच्चों के साथ देखा जाना चाहिए। ताकि अगली पीढ़ी जाने कि सच्चा इतिहास क्या है और कैसे इसे तोड़-मरोड़कर उनके सामने परोसा गया।

यह फिल्म केवल सिनेमा नहीं है, यह एक मुहिम है — “सच को इतिहास में उसकी सही जगह दिलाने की।”
निर्देशक मनप्रीत सिंह धामी को इस प्रयास के लिए दिल से सलाम। उन्होंने एक ऐसी क्रांति की शुरुआत की है जिसे अब सिर्फ दर्शकों के समर्थन की जरूरत है।

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