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Tuesday, May 13, 2025

‘जाट’ रिव्यू: सनी देओल की गरजती वापसी, गदर 2 से भी ज़्यादा दमदार एक्शन और कहानी

‘जाट’ रिव्यू: सनी देओल की गरजती वापसी, गदर 2 से भी ज़्यादा दमदार एक्शन और कहानी

सनी देओल की एक और दहाड़ – इस बार ‘जाट’ बनकर लाए हैं तूफान!


10 अप्रैल 2025,नई दिल्ली

गदर 2 के करीब डेढ़ साल बाद सनी देओल एक बार फिर बड़े पर्दे पर लौटे हैं, इस बार फिल्म ‘जाट’ के साथ। ईमानदारी से कहूं तो इस फिल्म से कुछ खास उम्मीदें नहीं थीं। न कोई प्रचार, न ही कोई प्रेस शो—बस सीधे सुबह-सुबह थिएटर पहुंचकर देखनी पड़ी। लेकिन फिल्म ने शुरुआत के पहले 10 मिनट में ही जो पकड़ बनाई, उसने सारी नींद और शंका उड़ा दी।

67 की उम्र में भी सनी पाजी की दहाड़ वैसी ही गूंज रही है, बल्कि इस बार और तेज़। इस फिल्म के जरिए उन्होंने यह साबित कर दिया है कि सही स्क्रिप्ट और निर्देशन के साथ वो आज भी एक्शन हीरो नंबर वन हैं। ‘जाट’ न सिर्फ सनी देओल की वापसी है, बल्कि एक ज़ोरदार सिनेमा अनुभव भी है, जो उत्तर से दक्षिण तक हर दर्शक को जोड़े रखता है।

कहानी में है वजन

फिल्म की शुरुआत होती है साल 2009 से। श्रीलंका में मजदूरी कर रहे दो भाई—राणातुंगा (रणदीप हुड्डा) और सोमलू (विनीत कुमार सिंह)—जमीन के भीतर खुदाई करते हुए एक बक्सा पाते हैं, जो सोने की ईंटों से भरा होता है। इसके बाद कहानी उनका पीछा करते हुए भारत, खासकर आंध्र प्रदेश पहुंचती है। यहां पर एक सीधा-सादा दिखने वाला जाट उनके सामने आता है, और फिर शुरू होती है असली टक्कर।

कसा हुआ निर्देशन और दमदार स्क्रीनप्ले

निर्देशक गोपीचंद मलिनेनी ने इस फिल्म में केवल कैमरा नहीं चलाया, बल्कि एक सधा हुआ विज़न पेश किया है। कहानी, स्क्रिप्ट और निर्देशन—तीनों पर उन्होंने खुद काम किया है और यह मेहनत स्क्रीन पर नज़र आती है।

फिल्म में हिंसा जरूर है, लेकिन यह सिर्फ दिखावे के लिए नहीं है। गोपीचंद हिंसा के पीछे ठोस कारण पेश करते हैं, जिससे दर्शक कनेक्ट कर पाते हैं। फिल्म का सेकेंड हाफ थोड़ी देर के लिए प्रेडिक्टेबल लगता है, लेकिन तभी कहानी में ऐसा ट्विस्ट आता है कि रोमांच फिर से लौट आता है।

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एक्टिंग: सनी पाजी ने फिर से लूटी महफिल

सनी देओल जब स्क्रीन पर आते हैं तो दर्शक खुद-ब-खुद सीटियां बजाने लगते हैं। उनका एक्शन, उनकी एनर्जी और डायलॉग डिलीवरी देखते ही बनती है। हाल ही में रिलीज हुई सलमान खान की फिल्म ‘सिकंदर’ की तुलना में सनी देओल का एक्शन ज्यादा असरदार और नेचुरल लगता है।

रणदीप हुड्डा और विनीत सिंह जैसे दमदार कलाकारों ने भी फिल्म को मज़बूत बनाया है। हर किरदार अपनी जगह पर फिट बैठता है और कास्टिंग टीम का काम सराहनीय है।

देखें या छोड़ दें?

अगर आप एक्शन फिल्मों के शौकीन हैं, तो ‘जाट’ को मिस करना किसी जुर्म से कम नहीं होगा। फिल्म में एक्शन, इमोशन, बेहतरीन बैकग्राउंड स्कोर और पावरफुल डायलॉग्स का शानदार मिश्रण है।

हां, कुछ बातें हैं जो थोड़ी चुभती हैं—जैसे रंग और शरीर को लेकर टिप्पणियां, अयोध्या की ट्रेन में हिंदी की बजाय अंग्रेजी और तेलुगू का इस्तेमाल, और धार्मिक गानों में कुछ अनावश्यक प्रयोग। लेकिन ये कमियां फिल्म के प्रभाव को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचातीं।

कुल मिलाकर, ‘जाट’ एक थिएटर-एक्सपीरियंस है, जिसे मिस नहीं करना चाहिए। और हां, दो बातें जरूर सीख लें—सॉरी टाइम पर बोलिए, और सनी देओल को कभी भी हल्के में मत लीजिए।

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